कविता

मतलब 

मतलब  , जी हाँ मतलब ,
न जाने मैं क्यों इतना ‘बदनाम’ हूँ , 
अरे मैं ही तो हर रिश्ते की ‘जान’ हूँ, 
नातेदारी हो या दोस्ती 
मैं ही सबकी ‘फ़रियाद’ हूँ, 
मैं ही हर रिश्ते की ‘बुनियाद’ हूँ ,
मेरे म से मिलने की मदद मिलती है, 
त में तारीफ की खुशबू महकती है ,
मेरा ल  लबो पर हंसीं ले आता है 
और मेरा ब, बड़ा चड़ा कर ,
बातें करने का हुनर सिखा जाता है, 
जिसे मुझसे से प्यार नहीं 
वह अकेला पड़ जाता है 
क्योंकि यह संसार ही ,
‘मतलबी दुनिया’ कहलाता है,  
पर मेरी बात ध्यान से सुनो 
मेरा फल मीठा तो होता है 
पर चिरस्थाई नहीं होता , 
मैं काम बनते ही निकल जाता हूँ 
फिर कभी हाथ नहीं आता हूँ, 
अगर जीवन भर का सुख पाना है तो 
सच्चे मन से ,निस्वार्थ भाव से,
अपने हर रिश्ते नाते को निभाते रहो, 
सदा परमेश्वर का आर्शीवाद पाते रहो, 
३०/१०/२०१८ …..जय प्रकाश भाटिया 

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845