राजनीति

सरदार वल्लभ भाई पटेल

नवजातिवाद की जगह विकलांगों, अनाथों, ज़रूरतमन्दों के हित को मानते थे सरदार पटेल। विकलांग वीर बच्चूसिंह भी अपने राजनीतिक जीवन मे उनके साथी थे।

जब नेहरू और माउंटबेटन ने भारत एकीकरण में शामिल हुए विकलांग वीर बच्चूसिंह के परिवार को कैद किया, तब राजसत्ता को समाप्त करने निकले सरदार पटेल ने भरतपुर और उनके मित्र अलवर के शासकों से कैद में ही समझौता करके उनके हितों को सुरक्षित कर लिया।

जब नेहरू और माउंटबेटन ने विकलांग वीर बच्चूसिंह को पाकिस्तान के लिए दंगा करने वालों के विरुद्ध की गई कार्यवाही को ‘मुसलमानों पर अत्याचार’ बता कर कैद करना चाहा, तब सरदार पटेल की जांच ने उनको निर्दोष करार दिया।

जब संविधान में विकलांगों का हित ही नहीं बना, तब सरदार पटेल ने गिरराज शरण बच्चूसिंह को राजनीति में आगे बढ़ा कर संसद पहुंचाया।

नेहरू द्वारा आरएसएस पर प्रतिबंन्ध के कारणों को देखिए, सबसे पहला कारण बच्चूसिंह हैं; पटेल ने नेहरू के दबाव में आरएसएस को प्रतिबंधित केवल इसलिए किया था ताकि वे बच्चूसिंह को बचा सकें।

सरदार पटेल विकलांगों के विरुद्ध सभी प्रतिबंन्ध हटाने के पक्षधर थे। प्रत्यक्ष रूप से भले ही विकलांगों के लिए कुछ न कर पाए, किन्तु विकट परिस्थिति में भी उन्होंने विकलांगों के हितों को बचाया और बढ़ाया।

सरदार पटेल की जयन्ति और प्रतिमा अनावरण पर विकलांग बल की ओर से सादर नमन।

अनुज मेहता

अनुज मेहता

विकलांग बल कार्यकर्त्ता गुरुग्राम