कहानी

आवाज़

आवाज़

मेट्रो शहर की एक पॉश कहलाने वाली कॉलोनी जिसमें बड़े बड़े बंगले सुरक्षा गार्ड के साथ स्थित है । बड़ी बड़ी इमारतें जिसमें फ्लेट बने हुए है ।
उसमें रहने वाले सभी अपने काम काम रख शांति से रहते है ।किसी बिल्डिंग के फ्लैट में एक परिवार बच्चों सहित रहने आया ।
उस परिवार के सभी सदस्य मिलनसार ओर शांति प्रिय है ।
उनको आये हुए दो महीनें होने को आये कि तभी एक दिन सुबह के 8.30 से 9 के मध्य एक बच्चे की रोने ,जोर जोर से बोलने की आवाज़ आनी शुरू हुई ।
” नही , नही , मुझे नही पकड़ो “।
” छोड़ दो मुझे “।”
“आप गन्दे हो ,बहुत गन्दे जाने दी मुझे “।
” अरे ,कोई तो मुझे बचाओ ” ।
साथ ही जोर जोर से रोने की आवाज़ें आती ।
यह क्रम निरन्तर चलता रोज़ फिक्स समय पर । किसी की हिम्मत नहीं हुई पूछने की ।
एक दिन पड़ोस की अम्मा उसी समय जब रोने कि आवज़
आ रही है पहुंच गई उनके घर ।
वहाँ के नजारे देख वो जोर जोर से हंसी पेट पकड़ कर ।
कारण है आवाज़ आने का की बच्चे को स्कूल जाने में परेशानी होती है ।
स्कूल नही जाना ,नहाना नही ओर ठंडे पानी से नहाना है गर्म से नही ,गर्म से नहाना है ठंडे से नही ।
नही नहाने ओर स्कूल नही जाने के कारण ये आवाज़ आती । उसके बाद किसी ने जानने की कोशिश नही की ये आवाज़ क्यो आती है ।

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।