गीतिका/ग़ज़ल

बचाता रहा हूं मैं

बचपन से बस एक यही तो पाता रहा हूं मैं।
अपनों से हमेशा ही धोखा खाता रहा हूं मैं।

मुझे खुशी है कि आज मैं भी दादा बन गया,
नया क्या है कभी किसी का पोता रहा हूं मैं।

आज जो सड़कों पर धरना प्रदर्शन कर रहे हो,
भूल गए क्या तुम्हारे जमाने में तोता रहा हूं मैं।

साढ़े चार साल हुएं जगे इतनी क्यूं बेचैनी तुम्हें,
सैंतालीस से लेकर चौदह तक सोता रहा हूं मैं।

धरना प्रदर्शन कर हम पर एहसान नहीं कर रहे,
तुम्हारे लिए गरीबों के दर्द को बढ़ाता रहा हूं मैं।

अपने अय्याशी में लिए थे जो कर्ज विश्वबैंक से,
दशकों तक देशवासियों संग चुकाता रहा हूं मैं।

अपने कार्यकाल में सबका ही दुरूपयोग किए,
फाइलों में लीपा पोती कर के छुपाता रहा हूं मैं।

दंगों में नरसंहार और अनगिनत किए घोटाले तुम,
जुर्म सहकर भी देश की शाख बचाता रहा हूं मैं।

संजय सिंह राजपूत
बागी बलिया उत्तर प्रदेश

संजय सिंह राजपूत

ग्राम : दादर, थाना : सिकंदरपुर जिला : बलिया, उत्तर प्रदेश संपर्क: 8125313307, 8919231773 Email- sanjubagi5@gmail.com