कविता

“छंद चामर”

छंद – चामर, शिल्प विधान- र ज र ज र, मापनी – 212 121 212 121 212 वाचिक मापनी – 21 21 21 21 21 21 21 2

“चामर छंद”

राम- राम बोलिए जुबान मीठ पाइकै।
गीत- मीत गाइए सुराज देश लाइकै।।
संग- संग नाव के सवार बैठ जाइए।
आर- पार सामने किनार देख आइए।।

द्वंद बंद हों सभी बहार बाग छाइयै।
फूल औ कली हँसें मुखार बिंदु पाइयै।।
डाल-डाल वृक्ष की निहार नैन जाइयै।
भोर-शोर पंछियाँ दुलार वैन गाइयै।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ