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संयोग पर संयोग-2

संयोग तो जिंदगी में होते ही रहते हैं. हमारा नेट पर आना भी एक संयोग है. नेट पर आने की बात तो हम करेंगे ही, पहले पिछली कड़ी से कुछ संयोग पर संयोग-

1.एक अन्य संयोग … मेरे माता पिता की वैवाहिक तिथि 5.5.55 है और मेरे मामा मामी की 6.6.66. है.
सुदर्शन खन्ना

2.सुदर्शन भाई, ऐसे अनेक संयोग अनायास ही हमारे सामने आ जाते हैं. हमने आपको बताया था, कि हमारे एक ब्लॉगर भाई हैं सूर्यभान, उनकी जन्मतिथि है 6.6.66. और आपके मामा मामी की वैवाहिक तिथि भी 6.6.66. है. क्या संयोग है!
लीला तिवानी

3.इसी तरह हमारी एक पाठक-कामेंटेटर सखी का जन्मदिन 11 अक्तूबर है और उसी दिन सिने जगत की हस्ती अमिताभ बच्चन का भी.
लीला तिवानी

4.25दिसंबर को गुरमैल भाई की अर्द्धांगिनी कुलबवंत कौर जी का जन्मदिन भी है, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का भी, साथ में क्रिसमस डे भी.
लीला तिवानी

5.31 दिसंबर को भारत के लौह-पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती होती है. उसी दिन पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का शहीदी दिवस भी होता है. बातों-बातों में पता चला कि हमारी एक वर्तमान अध्यापिका Mrs. Beth का जन्मदिवस भी 31 दिसंबर को होता है. इस बार उसी दिन ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब तथा अन्य अनेक देशों में ”हैलोवीन” मनाया जा रहा था.
लीला तिवानी

6.Mrs. Beth के बारे में एक बात और. उनका जन्म भी हमारी तरह 1946 में हुआ था और वे भी इस समय 72 वर्ष की हैं.
लीला तिवानी

7. इस बार करवा चौथ पर भी दो बड़े ही शुभ संयोग बने. सभी प्रकार की सिद्धियों को देना वाला सर्वार्थ सिद्धि योग बनाम इसके अलावा इस शाम अमृत सिद्धि योग भी बना.
लीला तिवानी

8.इस दिवाली पर कई शुभ संयोग हैं. चंद्रमा तुला राशि में होंगे, इस राशि में पहले से ही राशि के स्वामी शुक्र मौजूद हैं और इनके साथ सूर्य भी हैं. ऐसे में तुला राशि में सूर्य, शुक्र और चंद्रमा का त्रिग्रही योग बन रहा है जो बहुत ही शुभ संयोग है.
लीला तिवानी

9.आदरणीय दीदी नमस्कार, ऐसा ही कुछ संयोग हमारे साथ भी हुआ है,हम पाँच सहेलियों का ग्रुप था,जिसमें मेरा जन्मदिन 13 नवम्बर, दूसरे का 22 नवम्बर,तीसरे का 27 नवम्बर. एक सखी का 26 फरवरी, मेरे माता-पिता की शादी की सालगिरह 26 फरवरी और जब हमारा घर बना, तब उसका गृह प्रवेश भी 26 फरवरी को. मेरी ननद का बेटा उसका जन्मदिन 4 मार्च और मेरे बेटे का 7 मार्च.
अर्पिता दास

चलिए, अब शुरु करते हैं आज की कड़ी यानी हमारा नेट पर आने का संयोग. कुछ स्वभावतः ही संतुष्ट रहने वालों में से और कुछ पुरानी पीढ़ी के होने के कारण नई चीजों पर हमारा ध्यान अक्सर कम ही जाता है. ऑफिसों-स्कूलों में कंप्यूटर शुरु हो चुके थे, हमारे घर में बच्चों के पास लैपटॉप आ चुके थे, लेकिन एक बार भी हमारे मन में यह ख्याल नहीं आया, कि हम कंप्यूटर या लैपटॉप ले लें. एक ही दिन विदेश में रह रहे दोनों बच्चों ने सलाह करके हमें कंप्यूटर लेने को मना लिया, ताकि हम उनसे आराम से कनेक्टेड रह सकें. बेटे ने वहीं से कंप्यूटर HCL का फुल कंप्यूटर सेट ऑर्डर कर दिया और दूसरे दिन ही कंप्यूटर घर आ गया. फिर क्या था! काम शुरु हो गया. कलम का स्थान कर्सर ने ले लिया. अखबार का स्थान ई.पेपर ने ले लिया.

बढ़िया कंप्यूटर, बढ़िया प्रिंटर, खूब फोटोज़ प्रिंट किए. अपने लिए, छात्राओं के लिए, अध्यापिकाओ और उनके बच्चों के लिए खूब कविता, कहानियां, लेख लिखे और प्रिंट किए. रोज सुबह नवभारत टाइम्स में से एक कहानी पढ़कर जाती थी और सैर पर सुनाती थी. यह हमारे पूरे दिन के लिए आध्यात्मिक खुराक हो जाती थी.
बच्चे विदेश में रहते थे, तो अक्सर हम उनके पास जाया करते थे. एक दिन सुबह मैं नवभारत टाइम्स पढ़ रही थी, कि एक बड़ी-सी सुर्खी आई-
”पाठक पन्ना के लिए अपने को रजिस्टर कीजिए, रचनाएं लिखिए और देश-विदेश तक पहुंचाइए.”
बस फिर क्या था, बेटे ने फटाफट हमारी साइट बना दी और रजिस्टर करवा दिया. 2-4 दिन एडीटर्स ने मेरी रचनाएं पब्लिश कीं और फिर रचनाएं सकारात्मक व साहित्यिक होने के कारण मुझे ऑटो राइट्स दे दिए. तुरंत हमारे बहुत-से पाठक पन्ना या कि कहिए नेट मित्र बन गए. उनकी कथा बाद में, पहले पाठक पन्ना की. पाठक पन्ना में मेरी 750 रचनाएं छपीं.
एक बार फिर हम बेटे के पास गए हुए थे, कि फिर एक बड़ी-सी सुर्खी आई- ”पाठक पन्ना बंद हो रहा है, अपना ब्लॉग के लिए अपने को रजिस्टर कीजिए, रचनाएं लिखिए और देश-विदेश तक पहुंचाइए.”
इस बार भी बेटे ने फटाफट हमारी साइट बना दी और रजिस्टर करवा दिया. पाठक पन्ना के सभी पुराने जाने-पहचाने साथी अपना ब्लॉग पर आ गए थे. रचनाएं छपती रहीं. अब तक 1886 रचनाएं छ्प चुकी हैं.

यह संयोग पर संयोग की ही बात है, कि आप लोगों के कलम दर्शन हो रहे हैं. आप लोग लाजवाब प्रतिक्रियाओं के साथ संयोग के अनेक किस्से भी भेज रहे हैं और हर तरह से सहयोग कर रहे हैं. हम आपके बहुत-बहुत आभारी हैं.

आपका भी लेखन या नेट पर आने का ऐसा ही कुछ संयोग हुआ होगा, आप भी कामेंटस में हमें लिखकर भेज सकते हैं, इससे अन्य पाठक भी लाभांवित होंगे.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “संयोग पर संयोग-2

  • लीला तिवानी

    लेखन या नेट की दुनिया प्रेरणादायक होने के साथ बड़ी दिलचस्प भी होती है. हमें कभी अकेलापन लगता ही नहीं और सृजन के आनंद से मन भी प्रसन्न रहता है.

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