मुक्तक/दोहा

दोहे रमेश के दिवाली पर

संग शारदा मातु के, लक्ष्मी और गणेश !
दीवाली को पूजते, इनको सभी ‘रमेश !!
आतिशबाजी का नहीं, करो दिखावा यार !
दीपों का त्यौहार है,… सबको दें उपहार !
आतिशबाजी से अगर,गिरे स्वास्थ्य पर  गाज !
ऐसे रस्म रिवाज को, …….करें नजर अंदाज !!
करें प्रदूषण वाकई, …..ऐसे रस्म रिवाज !
उनका करना चाहिए,झटपट हमें इलाज !!
पैसा भी पूरा लगे ,………. गंदा हो परिवेश !
आतिशबाजी से हुआ,किसका भला “रमेश”!!
जी अस टी ने कर दिया , ऐसा बंटाधार !
फीकी फीकी सी लगे, दिवाली इस बार !!
सर पर है दीपावली, सजे हुवे बाज़ार !
मांगे बच्चो की कई ,मगर जेब लाचार !!
बच्चों की फरमाइशें, ……लगे टूटने ख्वाब !
फुलझडियों के दाम भी,वाजिब नहीं जनाब !!
दिल जल रहा गरीब का, काँप रहे हैं हाथ !
कैसे दीपक अब जले , बिना तेल के साथ !!
बढ़ती नहीं पगार है,……. बढ़ जाते है भाव !
दिल के दिल में रह गये , बच्चों के सब चाव !!
कैसे अब घर में जलें,… दीवाली के दीप !
काहे की दीपावली , तुम जो नहीं समीप !!
दुनिया में सब से बड़ा,. मै ही लगूँ गरीब !
दीवाली पे इस दफा, तुम जो नहीं करीब !!
दीवाली में कौन अब ,…. बाँटेगा उपहार !
तुम जब नहीं समीप तो, काहे का त्यौहार !!
आपा बुरी बलाय है, करो न इसका गर्व !
सभी मनाओ साथ में , .दीवाली का पर्व !!
लिया हवाओं से सहज, मैंने हाथ   मिलाय !
सबसे बड़ी मुंडेर पर, दीपक दिया जलाय !!
रमेश शर्मा

रमेश शर्मा

21/22,YA Chunawala Ind. Estate Andheri east Mumbai-59 मो 9820525940. ईमेल rameshsharma_123@yahoo.com

One thought on “दोहे रमेश के दिवाली पर

  • अनुज मेहता

    आतिशबाजी से इतना ही डर लगता है, तो अपने घर मे छुप जाओ। एक तरफ जिहादी हैं जो अपने बच्चों को suiside bomber बनाते हैं, दूसरी ओर एक डरपोक समुदाय जो पटाखे से भी डरता है।
    हम तो मनुवीर हैं, मिल्ट्री बम फोड़ेंगे।

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