कविता

एक दीवाली ऐसी मनाये

त्यौहार तो सिर्फ बहाना है।
बस रोशन घर और
परिवार को करना है।।
मिठास दिलों में बढ़ाना
ही दीवाली है।
दीप प्रज्वलित कर के
किसी गरीब के घर को
भी रोशन करना है।
विरोध करो दिखावे का
किसी गरीब को कुछ
तोहफा दे कर,
कुछ दुआएं भी
साथ ले आये।।
एक दीवाली ऐसी भी मनाये।।
रंगों से अपने घर सजाओ।
फिर जगमग जगमग दिये जलाओ।।
पटाखों से दूरी रख के
पृथ्वी को स्वच्छ बनाओ।
ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण
से वातावरण को बचाओ।
एक दीवाली ऐसी भी मनाओ।
अपनी गली,मोहल्ले को भी साफ रखों।
सभी को प्रेम से गले लगाकर कुछ मीठा खिलाकर,
दीवाली का शगुन मनाओ।
एक दीवाली ऐसी भी मनाओ कि
किसी का दिल ना दुखाओ।
अपने दिलों के मैल भी मिटाओ।।
एक दिया शहीदों के नाम का भी जलाओ।
एक दीवाली ऐसी भी मनाओ।।

संध्या चतुर्वेदी
अहमदाबाद, गुजरात

संध्या चतुर्वेदी

काव्य संध्या मथुरा (उ.प्र.) ईमेल sandhyachaturvedi76@gmail.com