कविता

नेह से नेह के दीप जलाएं

नेह से नेह के दीप जलाएं, आओ दिवाली मनाएं,
प्रेम-प्यार के सुमन खिलाएं, आओ दिवाली मनाएं.

दीप जलाएं मिट्टी के हम, आओ दिवाली मनाएं,
बिजली का उपयोग करें कम, आओ दिवाली मनाएं.

दूर करें दुखियों के दुःख-ग़म, आओ दिवाली मनाएं,
रहे न किसी की भी आंखें नम, आओ दिवाली मनाएं.

हवा न जहरीली होने दें, आओ दिवाली मनाएं,
पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं, आओ दिवाली मनाएं.

दूर दिखावे से रहकर हम, आओ दिवाली मनाएं,
रहे न मन में रंजिश औ’ ग़म, आओ दिवाली मनाएं.

मीठे बोल की बांटें मिठाई, आओ दिवाली मनाएं,
छोड़ें अहम, वहम औ’ ढिठाई, आओ दिवाली मनाएं.

प्रेम-प्यार के सुमन खिलाएं, आओ दिवाली मनाएं,
नेह से नेह के दीप जलाएं, आओ दिवाली मनाएं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “नेह से नेह के दीप जलाएं

  • लीला तिवानी

    कुम्हार के मन की बात-

    बनाकर दिये मिट्टी के,
    जरा-सी आस पाली है,
    खरीद लो मेहनत मेरी,
    मेरे घर भी दिवाली है.

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