कविता

प्रदूषणमुक्त दीवाली

आओ मनायें प्रदूषण मुक्त दीवाली,
घर – घर जाकर दें यह संदेश,
लेकर हाथ में दिया और बाती ,
तेल से हों जो लबालब ।

मरेंगें कीट – पंतगे जिनसे,
और होगा वातावरण सुरक्षित,
साँस लेने में ना होगी तकलीफ़ ,
जी सकेंगें सब खुली हवा में साँस लेकर।

पटाखों का करो बहिष्कार,
करो खिलौने और फलों का आदान-प्रदान,
मन में सबके लिये लेकर प्यार,
करो मन के अंधेरे को उज़ाले से दूर।

पौधे लगाकर भी मना सकते यह पर्व,
किसी के चेहरे पर देकर मुस्कान,
करें किसी के जीवन में उज़ाला ,
मन के सुख में होता लक्ष्मी का वास।

आओ मेरे साथ मनायें प्रदूषण मुक्त दीवाली….

नूतन गर्ग ( दिल्ली )

*नूतन गर्ग

दिल्ली निवासी एक मध्यम वर्गीय परिवार से। शिक्षा एम ०ए ,बी०एड०: प्रथम श्रेणी में, लेखन का शौक

One thought on “प्रदूषणमुक्त दीवाली

  • अनुज मेहता

    पटाखों से हर मच्छर, हानिकारक विषाणु मर जाते हैं।
    इतने बम फोड़ेंगे कि इलाके धुआं धुंआ हो जाएंगे,
    यदि प्रदूषण हो गया तो उसे मिटाने के लिए हवन करेंगे हवन करेंगे।

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