लघुकथा

श्रद्धा

श्रद्धा ,
हेलो ,दीपाजी वो अगले हफ्ते जो कार्यक्रम होना था किसी वजह से केंसिल हो गया है ।आप चिंता न करें अगले महीने जब भी कार्यक्रम होगा हम आपको जरूर बुलाएंगे “………फ़ोन की घंटी बजते ही दीपा को एक झटका लगा । कुछ देर रुककर उसने कहा ‘कोई बात नहीं ,लेकिन ये क्या अभी फोन कटा नहीं था ।दीपा ध्यान से उनकी बातें सुनने लगी । “वो लड़की जवान है ,शुक्र है 8 से 10 हजार में मान गयी ।”
ये सुनकर जैसे दीपा आसमान से धरातल पर आ गयी ।गहन मुद्रा में बैठकर सोचने लगी क्या कवि सम्मेलन भी आज सिर्फ एक व्यापार बन चुका है । शुक्र है ईश्वर का उसने उसे समय रहते इस दलदल से बच लिया । उसकी आंखों में खुशी के आँसूं और दिल में एक बार फिर से ईश्वर के लिए अपार श्रद्धा उमड़ने लगी । ईश्वर का शुक्रिया अदा करना था या अपने आंसुओं को रोकना ,उसके कदम बरबस मंदिर की ओर मुड़ गए ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

*वर्षा वार्ष्णेय

पति का नाम –श्री गणेश कुमार वार्ष्णेय शिक्षा –ग्रेजुएशन {साहित्यिक अंग्रेजी ,सामान्य अंग्रेजी ,अर्थशास्त्र ,मनोविज्ञान } पता –संगम बिहार कॉलोनी ,गली न .3 नगला तिकोना रोड अलीगढ़{उत्तर प्रदेश} फ़ोन न .. 8868881051, 8439939877 अन्य – समाचार पत्र और किताबों में सामाजिक कुरीतियों और ज्वलंत विषयों पर काव्य सृजन और लेख , पूर्व में अध्यापन कार्य, वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन यही है जिंदगी, कविता संग्रह की लेखिका नारी गौरव सम्मान से सम्मानित पुष्पगंधा काव्य संकलन के लिए रचनाकार के लिए सम्मानित {भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ }साझा संकलन पुष्पगंधा काव्य संकलन साझा संकलन संदल सुगंध साझा संकलन Pride of women award -2017 Indian trailblezer women Award 2017