सामाजिक

‘सहारा’

”हम स्कूल में पढ़ाई करने आते हैं. हमारे अध्यापक रोज हमें पढ़ाई के साथ-साथ जरूरतमंद लोगों की सहायता करना भी सिखलाते हैं.” मुंबई के बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल के एक बच्चे ने अपने कुछ सहपाठियों से कहा.

”हमें स्कूल में पढ़ाई करने के लिए भेजने वाले अभिभावक भी कहते हैं, कि पढ़ाई के साथ-साथ जरूरतमंद लोगों की सहायता करना भी तुम्हारा फ़र्ज है.” एक और छात्र का कहना था.

”आप दोनों बिलकुल सही कह रहे हैं, हमें पढ़ाई के अतिरिक्त कुछ अलग भी करना चाहिए.” एक और सहपाठी का विचार था.

हम क्या कर सकते हैं? इस पर विचार करते-करते विदर्भ क्षेत्र के दूर-दराज इलाकों के अपंग-अपाहिज लोगों-बच्चों को प्रॉस्थटिक लिंब उपलब्ध कराने की एक मुहिम चलाने का विचार बना और शीघ्र ही उसको अमली जामा भी पहनाया गया.

इस मुहिम में 9वीं से लेकर 12वीं क्लास तक के करीब 165 बच्चों ने अभी तक ₹43 लाख से ज्यादा रुपए क्राउड-फंडिंग के जरिए इकट्ठा कर लिए हैं.

यह सब हुआ कैसे? जहां चाह होती है, वहां राह मिल ही जाती है. इन छात्रों ने ‘फ्यूलअड्रीम’ नाम की जिस क्राउड-फंडिंग साइट के जरिए पैसे जमा किए. क्राउड-फंडिंग से कहानी बेहतर बताई जा सकती है और सोशल मीडिया से इसका असर बेहतर होता है.

अब तक इन बच्चों ने क्राउडफंडिंग के जरिए 43 लाख रुपए जुटाए हैं. ये रुपए देशभर के 165 शहरों के करीब 1500 लोगों ने दिए हैं. इस धनराशि में जान-पहचान वाले लोगों ने तो मदद की ही है, साइट के जरिए अनजान लोगों ने भी भरपूर मदद की है. हर बच्चे ने अपने लिए कम से कम 20,000 रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा. यह अभियान 19 नवंबर तक चलेगा. बच्चों को उम्मीद है कि तब तक 50 लाख रुपए जमा हो जाएंगे.

हर प्रॉस्थटिक लिंब की कीमत करीब 10000 रुपए होती है. बच्चों की कोशिश से 400 से ज्यादा लोगों की जिंदगियों संवर सकती हैं.

इन रुपयों से न सिर्फ उन्हें ‘सहारा’ बल्कि एक नई जिंदगी मिलने की उम्मीद है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “‘सहारा’

  • लीला तिवानी

    इन बच्चों का साहस और कमाल देखिए-

    हर बच्चे ने अपने लिए कम से कम 20,000 रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा था। अभी तक करीब 100 बच्चे अपना टार्गेट पूरा कर चुके हैं और कई इससे भी आगे निकल गए हैं। यहां तक कि चार बच्चों ने 10 दिन में 1 लाख से ज्यादा रुपए जमा कर चुके हैं।
    9वीं क्लास में पढ़ने वाले अंश पटेल बताते हैं कि उन्होंने अपने पैरंट्स के कॉन्टैक्ट्स से बात की। पहले उन्हें डर था कि पता नहीं कोई उनकी बात सुनेगा भी या नहीं लेकिन एक बार उन्होंने बात करनी शुरू की तो उन्हें सकारात्मक जवाब मिलने लगे। 11वीं की दिया 1.43 लाख रुपए जुटा चुकी हैं। वह कहती हैं कि इसमें उनके पापा ने बड़ी मदद की। 11वीं की है साची ने भी 1.28 लाख रुपए इकट्ठा कर लिया हैं। वह बताती हैं कि करीब 80% राशि उन्हें ऐसे लोगों से मिली है जिन्हें वह जानती तक नहीं थीं।

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