गीत/नवगीत

गीत

मेरी अर्धांगिनी के जन्मदिवस पर :-

विकल हुआ जब हृदय मेरा
तुम्हें पुकारा अंतर्मन से

जल तेरे नयनों से माँगा
नभ के श्यामल बादलों ने
तेरा सौंदर्य चुराया
झील के सब शतदलों ने
ध्वनित हो रहा नाम तेरा
विस्तृत वसुधा के कण-कण से
विकल हुआ जब हृदय मेरा
तुम्हें पुकारा अंतर्मन से

सोम-सा तू प्रकाश पुंज है
निशा के अथाह अंधकार में
दृष्टिगोचर तू ही मेरे
आचरण में और विचार में
आज पुनः तेरी विरह में
गिर पड़े अश्रु नयन से
विकल हुआ जब हृदय मेरा
तुम्हें पुकारा अंतर्मन से

क्षितिज पर होता आभासित
धरा-नीरद का आलिंगन
सागर के तट की मैं शिला
तू वेग से बहता प्रभंजन
शाश्वत ये प्रेम अपना
है परे जीवन-मरण से
विकल हुआ जब हृदय मेरा
तुम्हें पुकारा अंतर्मन से

आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- rajivmalhotra73@gmail.com