लघुकथा

गुफ्तगू

”नानी जी, प्रणाम.” घर की सफाई और रखरखाव के काम के लिए मंगाए गए घरेलू रोबोट का पैक खोलते ही रोबोट की बात सुनकर मैं हैरान रह गई.

”प्रणाम दोहते जी, पर आपने मुझे नानी जी क्यों कहा? क्या मुझे पहचानते हो?” मैंने रोबोट से सवाल किया.

”लो और बोलो, मैं आपको नहीं भूल सकता, भले ही आप मुझे भूल जाओ. आप मेहुल की नानी जी हैं कि नहीं?” रोबोट ने मुझे ही सवाल के घेरे में जकड़ लिया.

”अब तुम मेहुल को भी पहचानते हो!”

”और क्या? वही तो नुझे नासा ले गया था न! ! तब मैं उछल-उछलकर चलता था, अब घूमता हूं. आपको याद होगा, जब वह मुझे बैग में पैक करके अमेरिका के लिए जा रहा था, तो आपने उसे All the best कहा था, तब मुझे ऐसा लगा था कि आपने मुझे ही All the best कहा है.” रोबोट ने कहा.

”उसको तो बहुत साल हो गए, तुम्हें अभी तक याद है?” मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं था.

”नानी जी, रोबोट हूं, याददाश्त तो दुरुस्त रखनी ही पड़ेगी न! वरना आप मुझ हुक्म दोगी किचन की सफाई करने का और मैं साफ ड्राइंग रूम की ही दुबारा सफाई कर दूंगा. फिर आप मुझे एक कोने में फेंक दोगी, जैसे अब वैक्यूम क्लीनर को रखा हुआ है.” रोबोट मुस्कुराकर बोला, ”है कि नहीं!”

”अब ये है कि नहीं! कहां से सीख लिया?”

”देखती जाइए नानी जी, अब आपके यहां आ गया हूं, तो एक दिन ऐसे बात करूंगा, कि सब समझेंगे आप बात कर रही हैं.”

”अच्छा अब यह सब छोड़ और यह बताओ कि क्या-क्या काम कर सकते हो?” मैंने रोबोट से पूछा.

”अब मैं अपनी तारीफ खुद करके ‘अपने मुंहं मियां मिठ्ठू” नहीं बनना चाहता, लीजिए यह पैम्फ्लेट पढ़ लीजिए.” एक पर्चा आगे बढ़ाकर रोबोट ने कहा.

”बस, यही काम करोगे, या और कुछ भी?” मुझे तो सब कुछ जानने की जिज्ञासा थी न!

”अब नानी जी, आप लोगों ने मुझे जिस काम के लिए बुलाया है, मैं तो वही करूंगा न! हां मेरे और भाई-बंधु भी हैं, जो और भी बहुत-से काम कर सकते हैं. आपने आज का समाचार तो पढ़ा ही होगा न! ”चीन ने बनाया रोबॉट ऐंकर जो हूबहू प्रफेशनल प्रेजेंटर की तरह दिखेगा, 24 घंटे पढ़ सकेगा न्यूज”. रोबोट ने गर्व से कहा, ”हम तो प्रोग्राम के गुलाम हैं और वो भी बिना वेतन के और बिना खान-पान के, बस आपको प्रोग्रामिंग करते हुए बहुत सावधान रहना होगा. पलंग झाड़ने की प्रोग्रामिंग करते हुए पलंग पर रंगों की पुड़िया रह गई, तो चद्दर के साथ फर्श पर भी रंगोली बनी मिलेगी.” रोबोट खिलखिला कर हंस पड़ा.

तभी घंटी बजी और मैंने टाइम देखा, चार बज रहे थे. मेहुल के आने का टाइम हो गया था. रोबोट की गुफ्तगू ने बहुत टाइम ले लिया था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “गुफ्तगू

  • लीला तिवानी

    फिलहाल अभी तक “रोबोट”के लिए कोई एक सही सटीक परिभाषा नहीं है, एक प्ररूपी रोबोट कई या लगभग सभी प्रकार के निम्नलिखित गुण संभवतः होंगे

    यह कृत्रिम तरीके से बनाया जाता है।
    वो अपने आस पास के वातावरण को समझ सकते हैं और चीजों में फेर बदल और उसके संपर्क में रह सकते हैं
    वातावरण के आधार पर चुनाव करने की उनके पास कुछ क्षमताएं होती हैं, अक्सर वे अपने स्वत: नियंत्रण पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुक्रम से इस कार्य को करते हैं
    यह प्रोग्रामयोग्य है
    यह एक या दो फरसों पर घूमता या स्थानांतरित होता है
    यह समन्वय के साथ कुशल गति बनाता है )
    यह स्वयं ही मानवीय हस्तक्षेप के बिना चलता है
    यह यन्त्रित्व या आसक्त चित्त प्रतीत होता है
    अंतिम गुण धर्म, एजेंसी की उपस्थिति तब महत्वपूर्ण है जब लोग ये तय करेंगे की क्या मशीन को एक रोबोट कहा जाय या फिर उसे केवल एक मशीन ही कहा जाय (निर्जीव वस्तुओं के इरादों के कारणों के उदहारण के लिए देखें या निर्जीव वस्तुओं में मनुष्य के गुण डालने की प्रक्रिया.)

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