कविता

“कुंडलिया”

छठ मैया की अर्चना आस्था, श्रद्धा, अर्घ्य और विश्वास का अर्चन पर्व है, इस पर्व का महात्म्य अनुपम है, इसमें उगते व डूबते हुए सूर्य की जल में खड़े रहकर पूजा की जाती है और प्रकृति प्रदत्त उपलब्ध फल-फूल व नाना प्रकार के पकवान का महाप्रसाद (नैवेद्य) छठ मैया को अर्पण कर प्रसाद का दान किया जाता है ऐसे महिमाशाली पर्व पर माँ को नमन करते हुए आप सभी को हार्दिक बधाई, ॐ जय छठ मैया, ॐ जय माँ शारदा!

“कुंडलिया”

श्रद्धा अरु विश्वास का, उगता सूरज रोज।
छठ मैया की अर्चना, अर्घ्य आस्था भोज।।
अर्घ्य आस्था भोज, आज का पर्व निराला।
दिनकर डूबे शाम, सुबह को उगते लाला।
कह गौतम कविराय, मातु जग रूप प्रसिद्धा।
सिंदूरी अहिवात, माँग में साजन श्रद्धा।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ