कविता

ऊर्जा

कदम-कदम पर रोज़-रोज़ हम ऊर्जा करते नष्ट,
थोड़ा भी कम हो जाए यह तो होने लगता कष्ट।
बिजली गैस कोयला ईंधन काम बहुत आते हैं,
जैव, सौर, भू-ताप, पवन, जल ऊर्जा दे जाते हैं।
ऊर्जा है जितनी उपयोगी मूल्यवान है उतनी,
थोड़ा सोचों इस पर भी तो नष्ट हो रही कितनी।
किसी वजह से यदि कहीं बिजली गुम हो जाती है,
रुक जाता है काम तुरंत प्रगति भी रुक जाती है।
पेट्रोल के भंडार एक दिन सब खाली हो जाएँगे,
ध्यान दिया नहीं हमने तो खुद संकट में पड़ जाएँगे।
करो आज संकल्प एक अच्छी आदत अपनाओ,
ऊर्जा खर्च करो कम से कम व्यर्थ न इसे गंवाओ।

नॉसिका यसंति

नॉसिका यसन्ति

मैं श्री लंका के केलनिय विश्वविद्यालय की एक हिंदी लेक्चरर हूँ