कविता

ईश्वर

जब मेंने आंख खोली तो देखा संसार को
समझने की कोशिश की बनाने वाले को
लोग अनेक नामों से याद करते हैं
देखे बिना ही अपना समझते हैं
ऐसे ही में भी ईश्वर को अपना माना
संसार का नियंता और पालनहार माना
लिखता हूं अनुभव अपना
कुछ सच्चा और अच्छा घटना
जब ईश्वर को समझना चाहा
गहरे रहस्य में उलझता गया
पर ईश्वर का सदा प्यार पाया
दुखों का कारण जब चाहा जानना
अपना ही कर्म का था फल पाना
ईश्वर चाहते हैं सबको सुखी देखना
पर हमारे काम हैं दुखों को बुलाना
उलझते हैं सपनों के जाल में
वर्तमान को रखते हैं खाली हाल में
फल होता है खाली और दुखदाई
या हो जैसे कर्मों के बीज बोआई
में समर्पित हो कर ईश्वर को पुकारा
मुझे मिला तब उनका सहारा
कहने पर विश्वास नहीं करते लोग
कहते हैं ऐसा होता है संयोग
सत्य अनुभव मिला मेरे अनुमान से
लोगों ने कहा इसे न जोड़ना भगवान् से
जो घटा वह स्वाभाविक है
इसमें ईश्वर की कृपा नही है
अपना कर्तव्य ही ईश्वर है
कर्म में भगवान वसा है
साथियों सच कहने से बचता हूं
चमत्कार से नहीं जोडता हूं
अनुभव हुआ है एक ऐसा खास
रखा हूं केवल अपने पास
डर को रखो दूर करो ईश्वर में विश्वास
हर कण में है उसका निवास
मेहनत करो सच्चाई से न करो बेईमानी
समझ सको तो समझ लो मेरी कहानी।
अनिल कुमार देहरी

अनिल कुमार देहरी

गांव -भोजपल्ली, जिला-रायगढ़ (छग) पिन कोड-496001 शिक्षा -बी ए ,कुछ साल पहले फोटोग्राफी का कार्य करता था । अब घर में रहता हूं। भाई के साथ अनबन के कारण फोटोग्राफी बंद कर दिया। मो.-6268371682