कविता

मुस्कान

सृष्टि की रचना में ईश्वर ने
मनुष्य को बनाया,
उपहार में उसने मनुष्य को
मुस्कान से नवाज़ा,
मुस्कान की कला ईश्वर ने
सृष्टि में मनुष्य को दी है।
नवजात शिशु पाता है
एक प्यारी सी मुस्कान
निर्दोष और मनमोहक
सबको हर लेने वाली मुस्कान,
होता है जब बड़ा मनुष्य
दैवीय मुस्कान जीवन से चली जाती है,
मजबूरी में मुस्कराने की
उसकी आदत पड़ जाती है।
सन्त मुस्कान को मोक्ष कहते हैं
जीवन के आंनद को हम इसी में ही सहते हैं,
भावनाओं और आवेश को
नियंत्रित करने में मुस्कान ज़रूरी है,
जीवन को हर पल में जीने के लिये
मुस्कान ज़रूरी है।

सीमा राठी

सीमा राठी

सीमा राठी द्वारा श्री रामचंद्र राठी श्री डूंगरगढ़ (राज.) दिल्ली (निवासी)