कविता

कविता

ये दुनिया की कैसी रीत है
जहाँ लोग लड़ते रहते है
किसका क्या है
कितना है इन
सब बातों पर मनमुटाव
करते रहते है
ये भाई – भाई भी आपस मे
जयदाद के लिए लड़ते है!
मेरा तो मानना है
कि लोगों मे बँटवारा
सिर्फ जायदाद की नही होती है
रिस्तों की बटवारा होती है
दिल और दिमाग की बँटवारा होती है
संबधों की बटवारा होती है
क्या लेकर आये थे
क्या लेकर जाएँगे
नफरत का बीज बोकर किसका
दिल दुखाएँगें!
बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।