गीतिका/ग़ज़ल

काजल करने के लिए ताज़ा खूँ चाहिए

इन आँखों को नूर नहीं जुनून चाहिए
काजल करने के लिए ताज़ा खूँ चाहिए

गीत,ग़ज़ल,कविता,नज़्म सब बोलती हैं
जिससे हज़रात क़त्ल हो,मजमून चाहिए

जिस्म में गर्मी,लबों पे आग,अदाओं में चुभन
इन्हें अब दिसम्बर में भी जून चाहिए

हलाल करके बन्द ज़ुबानों को जो मिले
कातिलों की पसन्द वाला ही शुकूँ चाहिए

इन्हें डराकर जीने की आदत है सदियों से
इहें अँधा,गूँगा,बहरा और लाचार कानून चाहिए

सलिल सरोज

*हज़रात-उपस्थित
*मजमून-विषय

*सलिल सरोज

जन्म: 3 मार्च,1987,बेगूसराय जिले के नौलागढ़ गाँव में(बिहार)। शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011), जीजस एन्ड मेरी कॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)। प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका"कोशिश" का संपादन एवं प्रकाशन, "मित्र-मधुर"पत्रिका में कविताओं का चुनाव। सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश। आजीविका - कार्यकारी अधिकारी, लोकसभा सचिवालय, संसद भवन, नई दिल्ली पता- B 302 तीसरी मंजिल सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट मुखर्जी नगर नई दिल्ली-110009 ईमेल : salilmumtaz@gmail.com