लघुकथा

उम्मीद

अपने झड़ते बालों को देख सुनिधि बुझ सी गई थी। धीमी सी आवाज में जय से बोली – “सुनो!मैं सोच रही थी कि अपने बाल कटवा लूँ। देखो ना कितने झड़ रहे हैं।”

जय उसका चेहरा देखता ही रह गया। पिछले दो महीनों में सुनिधि बिलकुल मुरझा सी गई थी। अपने मनोभाव छुपाकर, अपनी आवाज़ को संयत करते हुए बोला – “अरे, बालों को छोड़ो । आजकल हर कोई इस समस्या से जूझ रहा है । पर हाँ! अगर तुम्हारी ज्यादा ही मर्जी है तो यह गुलाम अभी आपको शहर के बैस्ट सैलून में ले चलेगा ।”

“अरे नहीं… छोड़ो… अच्छा तुम्हें याद है अपनी शादी की सालगिरह आने वाली है । इस बार भी भूल तो नहीं जाओगे, आँखों में चमक चमक लिए वह बोली।

“कैसे भूल सकता हूँ ।”अपनी बाँहों के घेरे में सुनिधि को कसते हुए जय बोला।

लेकिन क्या मैं.. मैं… कहते-कहते सुनिधि की आवाज़ भर्रा सी गई । कुछ देर के लिए दोनों के बीच चुप्पी सी छा गई ।

सुनिधि की आँखों से निकल गए आँसूओं को पोंछते हुए जय बोला – “बहुत हुआ जान, कितनी बार बोला है, ज्यादा सोचा ना करो।अब आराम करो।”

“गर बीमारी का नाम ना पता होता तो शायद जी जाती । पर कैंसर ….?” जय के कँधे पर सिर रख फुसफुसाते वह बोली।

“तुम्हें भी पता है कि मैं बहुत जिद्दी हूँ । तुम्हें पाने के लिए जमाने से लड़ गया था, तो क्या अब तुम्हें ऐसे ही जाने दूंगा ?”

विश्वास से भरी जय की बात सुन, आज सुनिधि में भी जीने की उम्मीद जाग उठी थी ।

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed