सामाजिक

कमाल के किस्से-19

ये कमाल क्या है? कमाल क्यों होता है? कमाल कब होता है? कुछ पता नहीं, पर हो जाता है. चलिए आज हम फिर कमाल की ही बात कर लेते हैं. इस बार प्रस्तुत हैं रविंदर भाई द्वारा भेजे गए कमाल के किस्सों पर आधारित किस्से कमाल के. रविंदर भाई ने ढेर सारे कमाल के किस्से मेल द्वारा लिख भेजे हैं, इसलिए यह पूरी कड़ी रविंदर भाई के भेजे कमाल के किस्सों से ही सुसज्जित है.

कमाल का डॉगी-
डॉगीज और इंसान की दोस्ती जगजाहिर है और उसे इंसान का सबसे अच्‍छा दोस्‍त कहा जाता है. प्राचीन काल से चली आ रही यह दोस्‍ती एक फिर से सच साबित हो गई है. यह किस्सा वियतनाम का है. एक महिला से अनजाने में ही कुछ पैसे और आइडेन्टिटी प्रूफ एक होटल के पार्किंग में गिर जाते हैं और बिना देखे ही महिला होटल से अपनी स्कूटी पर निकल जाती है. पास में ही खड़े एक कुत्ते की जमीन पर गिरे हुए महिला के सामान पर नजर पड़ती है. वह सारा सामान समेट कर वहीं बैठा रहा और तब तक बैठा रहा, जब तक महिला अपने सामान को ढूंढते हुए वापिस आई. कुत्ते ने पूरा सामान लौटा दिया.

कमाल का आर्टिस्ट बच्चा
इस किस्से को आप कमाल का बच्चा कहें या कमाल का पेंटर, एक ही बात है. दिल्ली का रहनेवाला अद्वैत कोलरकर जन्म के आठवें महीने से बनाता है ऐसी यूनिक पेंटिंग, जो विदेशों में बिकती हैं. विदेशी लोग इन पेंटिंग्स को डॉलर्स में खरीदते हैं, यह बच्चा 4 साल की उमर में 2 प्रदर्शनियां कर चुका है. पेंटिंग्स खरीदने वालों के अनुसार यह बच्चा कमाल का आर्टिस्ट है.

कमाल के शिक्षक-
देशभर में 14 नवंबर को बालदिवस धूमधाम के साथ मनाया जाता है. स्कूलों में बहुत सारे कार्यक्रमों आयोजित किए जाते हैं, लेकिन इस बार छत्तीसगढ़ में गांव के एक सरकारी स्कूल में कुछ अनोखे तरीखे से मनाया गया. दरअसल इस स्कूल में कौन बनेगा करोड़पति की जगह बच्चों से खिलवाया गया ”कौन बनेगा दस-रूपयापति”. इसका उद्देश्य था बच्चों को खेल-खेल में रोचक जानकारी मिल पाना.
स्कूल के शिक्षकों ने बाल दिवस पर बच्चों के लिए ये गेम तैयार किया गया, जिसमें बिलकुल हू-ब-हू टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति की तरह नियम रखे गये. इसमें बच्चों से देश-दुनिया से संबंधित सवाल पूछे गये. बच्चों के 5 सही जवाब देने पर उनको 10रूपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए गए.

कमाल की वेंडिंग मशीन-
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनीसेफ ने गरीबों की मदद करने के लिए एक खास वेंडिंग मशीन ईजाद की है. इसमें पैसे डालकर लोग किसी एक गरीब या पूरे परिवार के लिए खाने-पीने की चीजों से लेकर गाय-बकरी तक दान कर सकते हैं. मशीन में आप दो से लेकर 200 डॉलर तक डाल सकते हैं. गरीबों की मदद के लिए न्यूयॉर्क, लंदन, मनीला, गिलबर्ट और एरिजोना में ये वेंडिंग मशीनें लगाई गई हैं.

आप किसी को क्या देना चाहते हैं, इसके लिए वेंडिंग मशीन में एक बॉक्स चुनना पड़ेगा. इसके लिए पेमेंट क्रेडिट कार्ड से करना होगा. आप इसमें पोलियो वैक्सीन, सिलाई मशीन या स्थानीय इस्तेमाल की कोई चीज भी चुन सकते हैं. वेंडिंग मशीन में पैसा डालने पर मशीन से एक खाली बॉक्स मिलता है, जो उन्हें प्रतीक के तौर पर सामान पाने वाले गरीबों की भावना का अहसास दिलाता है.

कमाल का रेस्टोरेंट-
केरल के अलप्पुझा जिले के रेस्टोरेंट में भरपेट खाना खाइए, पैसा जो मर्जी दीजिए. आप चाहें तो एक पैसा न दें. इस रेस्टोरेंट का नाम है ‘जनकीय भक्षणशाला’ (जनता भोजनालय) और इसका मोटो है- ‘ईट ऐज मच ऐज यू वांट, गिव ऐज मच ऐज यू कैन’, यानी जितना चाहें उतना खाएं, जितनी मर्जी उतना भुगतान करें.’ रेस्टोरेंट के मालिक का कहना है कि वह भूख मुक्त राज्य बनाने के उद्देश्य से ऐसा कर रहे हैं. यह असल में केरल स्टेट फाइनेंशियल एंटरप्राइजेज के सीएसआर फंड से संचालित किया जा रहा है. अलप्पुझा-चेरथाला नेशनल हाईवे के पास स्थित इस रेस्टोरेंट में एक आधुनिक स्टीम किचेन है जिसमें 2,000 लोगों का भोजन तैयार किया जा सकता है. यह 11.25 लाख रुपये की लागत से स्थापित किया गया है. दो मंजिला इस भोजनालय में एक वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट भी है.

कमाल का बतख परिवार-

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो को देख आप भी ट्रैफिक नियमों के प्रति और ज्यादा सतर्क हो जाएंगे. बत्तख समेत यह परिवार जेब्रा क्रॉसिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं रोड क्रॉस. दोनों तरफ अच्छे से गाड़ियों को देखकर करते है रोड क्रॉस. इंसाने के साथ-साथ पक्षी भी स्मार्ट हो गये हैं. लोगों ने ये नजारा देख वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया.

कमाल का तोता-
तोता दुनिया का स्मार्ट और एकमात्र बोलनेवाला पक्षी हैं और इसी के चलते अधिकांश लोग पालतू पक्षी के रूप में तोते को पालते हैं. लेकिन एक तोते ने ऐसा काम किया जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकते. इस पालतू तोते ने अपने मालिक के सामने ताला लगा हुआ एक लॉकर महज दो से तीन सेकेंड के अंदर ही अपनी चोंच से खोल दिया.

कमाल का मंकी मैन-
कर्नाटक में रहने वाले ज्योति राज जिन्हें मंकी मैन का नाम दिया गया है. ज्योति सीधी सपाट, ऊंची दीवारों, खम्भों, पहाड़ों और चट्टानों पर बिना किसी मदद के आसानी से चढ़ जाते हैं. ज्योति का कहना है कि एक दिन जीवन से निराश होकर वह एक बहुत ऊंचे पत्थर के सामने खड़े थे और वहां से उन्होंने उस चोटी से कूद कर जान देने का फैसला किया. उन्हें इस बात का अनुमान नहीं था कि वे उस चोटी तक कैसे पहुंचेंगे. उसी समय वहां एक बंदर आया और बिना रुके उस पत्थर की चोटी पर आसानी से चढ़ गया. ज्योति भी बिना कुछ सोचे-समझे उसके पीछे-पीछे चढ़ने लगे और फिर सीधे पत्थर की चोटी पर जाकर ही रुके. वहां पहुंचकर ज्योति ने देखा कि वे तो आत्महत्या करने निकले थे, लेकिन नीचे खड़े लोग तालियां बजा रहे थे और उनकी जमकर तारीफ हो रही थी. फिर क्या जिंदगी को नई मंजिल मिल गई और ज्योति पहाड़ों की ओर चल पड़े.

अंत में एक कमाल का किस्सा हमारी ओर से भी-
हमारे सुपुत्र राजेंद्र के साथ हम जब भी विवाह करने की बात छेड़ते तो उसका कहना होता था- ”अभी नहीं, 2000 में.” कारण पूछने पर वह हंसकर कहता- ”मुझे हिसाब नहीं लगाना पड़ेगा, कि शादी को कितने साल हो गए. अब इसे कमाल कहिए या संयोग, कि उसका विवाह आज के दिन 7 दिसंबर, 2000 को ही हुआ. 7 दिसंबर के साथ एक और संयोग भी जुड़ा हुआ है. मेरी सबसे पहली नौकरी 7 दिसंबर को ही लगी थी. अभी संयोग चल ही रहा है. पतिदेव की पहली नौकरी भी 7 दिसंबर को ही लगी थी. अब आप इसे संयोग कहें या कमाल आपकी मर्जी, बहरहाल बहू-बेटे को हमारी तरफ से विवाह की 18वीं सालगिरह पर कोटिशः बधाइयां और शुभकामनाएं.

इसी के साथ ‘किस्से कमाल के’ की इस कड़ी को हम यहीं पर विराम दे रहे हैं. आप भी कामेंट्स में कमाल के अन्य किस्से भेज सकते हैं. कामेंट्स में आए आपके कमाल के किस्से अगली कड़ी में आप अपने नाम से देख पाएंगे.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “कमाल के किस्से-19

  • लीला तिवानी

    कमाल के बालक का किस्सा-
    खिलौनों के रिव्यू वाले यूट्यूब चैनल से एक साल में 155 करोड़ रुपये की कमाई। रेयान के चैनल रेयान टॉयज रिव्यू पर 1.73 करोड़ फॉलोअर्स हैं। छोटी सी उम्र में रेयान यूट्यूब पर बेहद लोकप्रिय हैं।

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