गीतिका/ग़ज़ल

#मी टू, #ही फ़ॉर सी से कुछ बदलेगा नहीं

कहीं पिघलना तो कहीं गलना है बहुत
वो अदना औरत है उसे सँभलना है बहुत

कहीं सीता तो कहीं पद्मावती अब भी हैं बहुत
रिवाज़ की आग पर अभी उन्हें जलना है बहुत

#मी टू, #ही फ़ॉर सी से कुछ बदलेगा नहीं
आखिरकार ज़ुबाँ उन्हें ही सिलना है बहुत

आखिर लड़के हैं ऐसी गलतियाँ हो जाती हैं
हर निर्भया को ऐसा आश्वाशन मिलना है बहुत

जो सत्त्ता में बैठी हैं इनकी सब सखी सहेलियाँ
अपनी ही जात के लिए झूठ उगलना है बहुत

पुरुष प्रधान समाज की पैदाइश है ये दोगलापन
पर औरतों,तुमको ये इनका ज़हर निगलना है बहुत

सलिल सरोज

*सलिल सरोज

जन्म: 3 मार्च,1987,बेगूसराय जिले के नौलागढ़ गाँव में(बिहार)। शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011), जीजस एन्ड मेरी कॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)। प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका"कोशिश" का संपादन एवं प्रकाशन, "मित्र-मधुर"पत्रिका में कविताओं का चुनाव। सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश। आजीविका - कार्यकारी अधिकारी, लोकसभा सचिवालय, संसद भवन, नई दिल्ली पता- B 302 तीसरी मंजिल सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट मुखर्जी नगर नई दिल्ली-110009 ईमेल : salilmumtaz@gmail.com