लघुकथा

कहानी इश्क की

” हाय ..
” हाय….
” कैसी हो, आपने मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी जानती हो क्या मुझे …….?
“नही जानती पर कॉमन दोस्त बहुत है कुछ तो मेरे करीबी रिश्तेदार”।
” ओह्ह मुझे नहीं मालूम था इतने करीबी रिश्तेदार कॉमन फ्रेंड है “।
” ओहो, तब तो ठीक है नही तो ……….,मैं अनजान को दोस्त बनाता नही “।
” वैसे तुमने क्यो भेजी मुझे रिकवेस्ट मैं पसंद आया क्या ……..?।
“ओ ,हेलो तुम नही हमारे कॉमन दोस्त पसंद आये और किसी गलत फहमी में नही रहना इतनी परेशानी हो रही तो ब्लॉक कर दो “।
अरे,नही ,नही जब इतने है करीबी रिश्तेदार दोस्त तो हम भी पहचान वाले ही होंगे मालूम हो जाएगा “।
” मेरा इरादा आपको दुखी या परेशान करना है”.
” सॉरी……………….।
” ठीक ….………………..”।
अनबन से हुई दोस्ती की शुरुआत । दोनो बिज़ी रहते जब समय मिलता बात करते कॉमन दोस्तो की ।
कुछ समय बाद करीबी होने का मालुम हुआ ।
वो लड़का कब लड़की को चाहने लग गया नही उसने लड़की को खोने के डर से कुछ नही कहा ।
लड़की को कभी कभी अहसास होता कि वो कुछ कहना चाहता है पर कहता नही ।
एक दिन लड़के ने दिल की बात कह दी डरते डरते की वो उसको चाहता है ।
वो लड़की हां, ना कर सकती है क्योंकि उसने लड़की को बिन देखे चाहा ।
उसने कहा ” मैं तुमको चाहने लगा पर बोल नही सका, आज भी तुम्हारी भावना का सम्मान करूँगा तुम हां, ना कह सकती हो”।
” लेकिन मैं किसी ओर को पसन्द करती हूं शादी हो रही है “।
” जानता हूँ, कोई नहीं इस दिल मे तुम एक याद बन रहोगी , ओर ये बात यही खत्म न कभी तुम कुछ कहोगी न मैं क्योंकि हम रिश्तेदारी में मिलेंगे जरूर ।
तब तुम मेरी नज़र में खुद के लिए चाहत ओर सम्मान देखोगी ।
दिल से चाहा है तुमको तो दिल में तो रहोगी ही ।

— सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।