गीत/नवगीत

तिमिर उत्सव मनाने आ गया

छा गयी बदली ज़रा सी सूर्य थोड़ा छुप गया
और इतने में तिमिर उत्सव मनाने आ गया

कौन अब कह दे कि उथला कृत्य है ये
कालिमा का अल्पजीवी नृत्य है ये
भ्रम क्षणिक है टूटना ही है इसे तो
झूठ को मिटना पड़ेगा सत्य है ये!

मिट गया हर बार फिर से आज़माने आ गया

है भले खुश आज जतुका आत्मग्राही
झींगुरों से पा रहा तम वाहवाही
कल सुबह फिर सूर्य का उगना अटल है
अनसुनी कर तारकों की भी गवाही

उल्लुओं का झुण्ड देखो घर बनाने आ गया

प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

नाम-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' जन्मतिथि-08/03/1983 पता- ग्राम सनगाँव पोस्ट बहरामपुर फतेहपुर उत्तर प्रदेश पिन 212622 शिक्षा- स्नातक (जीव विज्ञान) सम्प्रति- टेक्निकल इंचार्ज (एस एन एच ब्लड बैंक फतेहपुर उत्तर प्रदेश लेखन विधा- गीत, ग़ज़ल, लघुकथा, दोहे, हाइकु, इत्यादि। प्रकाशन: कई सहयोगी संकलनों एवं पत्र पत्रिकाओ में। सम्बद्धता: कोषाध्यक्ष अन्वेषी साहित्य संस्थान गतिविधि: विभिन्न मंचों से काव्यपाठ मोबाइल नम्बर एवम् व्हाट्सअप नम्बर: 8896865866 ईमेल : praveenkumar.94@rediffmail.com