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डिस्को लाइट: एक कारगर उपाय

आज डिस्को लाइट के बारे में कुछ पढ़ने को मिला. क्या, वह तो हम अंत में बताएंगे, लेकिन हमने सोचा क्यों न डिस्को के बारे में कुछ ज्ञानवर्द्धन किया जाए. चलिए सबसे पहले यही जान लेते हैं, कि डिस्को का अर्थ क्या है और डिस्को संगीत क्या है?

डिस्को शब्द बना है डिस्क से. गानों की रिकॉर्डिंग प्लास्टिक के जिस रिकॉर्ड पर की जाती थी उसे डिस्क भी कहते हैं. सत्तर के दशक में ऐसे क्लब बने जहाँ मनोरंजन के लिए गानों के ये रिकॉर्ड बजाए जाते और उनकी लय पर युवक-युवतियाँ नृत्यमग्न जो जाते थे. इन क्लबों को डिस्कोथीक कहा गया. बस यहीं से निकला डिस्को संगीत.

सत्तर के दशक में ही डिस्को संगीत के कारण डिस्को शब्द इतना प्रचलित हो गया था, कि हर ठेले वाला डिस्को का राग गाने लग गया. 1984 में हमने एक कविता ”डिस्को की डिस्क” लिखी थी. यह कविता जहां हास्य का पुट लिए हुए थी, वहीं डिस्को का इतिहास भी समेटे हुए थी. पहले इसी कविता को पढ़ लीजिए.

डिस्को की डिस्क
गली-गली में जब से गूंजी, डिस्को की आवाज,
युवक-युवतियां लगे थिरकने, चमक उठे सब साज.

धीरे-धीरे लगी बढ़ने जब, डिस्को की डिमांड,
सप्लाई कम होती जाती, बढ़ती जाती और डिमांड.

इसका भी हल खूब निकाला, टेप बनाने वालों ने,
डिस्को दुनिया, डिस्को नशा से, धन लूटा दिलवालों ने.

डिस्को सूट, डिस्को ही चुन्नियां, डिस्को ट्माटर-आलू-प्याज,
पैन भी डिस्को, बर्तन डिस्को, डिस्को लगा कमाने ब्याज.

डिस्को बिंदी, डिस्को चूड़ी, डिस्को चप्पल, डिस्को सैंडल,
नजर जहां तक जाती है बस, डिस्को का ही दिखता स्कैंडल.

डिस्को टी.वी., टेप रिकॉर्डर, डिस्को रेडियो खूब चले,
बच्चों के भी डिस्को नाम ही, सबको लगते बड़े भले.

प्रतिदिन जिसमें जाना होता, उस बस का है डिस्को नाम.
हमको देख खिसकना होता, उसका सबसे प्यारा काम.

किया कमाल घड़ी डिस्को ने, रोज सुबह रुक जाती है,
शादी की घोड़ी की भांति, फिर चलने लग जाती है.

डिस्को एटी टू, डिस्को स्टेशन, डिस्को बादशाह, डिस्को दीवाने,
आइ एम ए डिस्को डॉन्सर जैसे, खूब चले हैं फिल्मी गाने.

जाने कब पीछा छूटेगा, कम होगा डिस्को का खुमार,
लोग चाहते उन्हें चढ़े तो, केवल डिस्को का ही बुखार.

डिस्को की डिस्क जब खिसकेगी, होगा तब जग का उद्धार,
युवक नया निर्माण करेंगे, पुनः बनेंगे वे खुद्दार.

डिस्को को तब लाज लगेगी, रोएगा कोने में बैठ,
अभी तो इसका राज निराला, निकल जाएगी इसकी ऐंठ.

डिस्को शब्द 35 साल पहले पहली बार प्रचलन में आया था. आते ही इसने धूम मचाई थी. 1984 में लिखी गई इस कविता ‘डिस्को की डिस्क’ ने भी बहुत धूम मचाई थी. छात्रों में यह विशेष लोकप्रिय हुई थी और मुझे भी कई बार सुनाने का सुअवसर मिला था.

आज एक समाचार पढ़कर फिर डिस्को की याद आ गई. समाचार था-
केरल: हाथियों को दूर रखने के लिए खेतों में लगाई जा रहीं मल्टीकलर डिस्को लाइट

मल्टीकलर एलईडी लाइट, जिन्हें अक्सर डांस फ्लोर में जगमगाते हुए देखा जाता है, केरल के वायनाड में इसका अनोखा इस्तेमाल किया जा रहा है. वन विभाग 360 डिग्री घूमने वाली इन तेज लाइट्स को खेतों में लगा रहा है, जिससे जंगली हाथी यहां से दूर रह सकें और वाकई यह अनोखा आइडिया अनुकूल परिणाम भी दे रहा है. पिछले डेढ़ महीने में हाथियों से नुकसान की यहां कोई घटना नहीं घटी है.

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये मल्टीकलर लाइट दक्षिणी वायनाड के चेथालयम में आवारा हाथियों को मानव आबादी से दूर करने में कामयाब हो रही हैं. इससे पहले हाथियों के लिए खाई (ईपीटी), ग्रेनाइट दीवार या फिर सोलर फेंच जैसे उपाय इलाके में खतरे को भांपने में असफल रहे हैं. यह उपाय जंगली सुअरों से बचाने में भी कामयाब साबित हो रहा है. हाथियों को तेज लाइट से परेशानी होती है. ये एलईडी लाइट किफायती भी हैं और एक यूनिट बल्ब और बैटरी की कीमत 4 हजार तक है.

इस तरह किसानों और उनकी खेती की सुरक्षा के लिए डिस्को लाइट एक कारगर उपाय है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “डिस्को लाइट: एक कारगर उपाय

  • रविन्दर सूदन

    आदरणीय दीदी,
    नयी जानकारी और उसपर आपका पुराना “डिस्को की डिस्क” सोने पर सुहागा ।
    आप डिस्को लाइट लगा रहे हैं, हाथियों को भगा रहे हैं ।
    लगाई लाइट डिस्को , हाथी कहने लगे यहाँ से खिसको ।
    डिस्को लाइट बांट रहे हैं, हाथी फाके काट रहे हैं ।
    यह लाइट हाथी भगाने की चाल है, भूख के मारे हाथियों का बुरा हाल है ।
    किसान इसे पाकर झूम रहे हैं, हाथी गम में डूब रहे हैं ।
    डिस्को लाइट डिस्को लाइट, हाथियों के लिये कोई करे फाइट ।
    छोटे होते जंगल उनकी समस्या है, इसे हल करना एक तपस्या है ।

    • लीला तिवानी

      प्रिय ब्लॉगर रविंदर भाई जी, आप प्रसव पीड़ा को समझने वाले हैं, तभी तो आपको हाथियों की पीड़ा का भी पूरा ख्याल है.
      यह लाइट हाथी भगाने की चाल है,
      भूख के मारे हाथियों का बुरा हाल है ।
      किसान इसे पाकर झूम रहे हैं,
      हाथी गम में डूब रहे हैं ।
      डिस्को लाइट डिस्को लाइट,
      हाथियों के लिये कोई करे फाइट ।
      छोटे होते जंगल उनकी समस्या है,
      इसे हल करना एक तपस्या है.
      बहुत खूब ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    हर चीज का अपना समय होता है. सत्तर के दशक में डिस्को संगीत का जादू दिखा, तो आज डिस्को लाइट किसानों और उनकी खेती की सुरक्षा के लिए एक कारगर उपाय बन गया है.

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