लघुकथा

जन्मदिन

सुदर्शन को कितनी मुश्किल से उसको सिर्फ दस दिन की छुट्टियां मिली है ।
अपने जीवन का खास दिन वो जीवन देने वाली मां, जीवन के पथ पर साथ देने वाली संगिनी ओर जीवन का आधार उसके प्यारे प्यारे बच्चों के साथ बिताना चाहता था।
लेकिन उसकी छुटी उसी अहम दिन से शुरू हुई है ,वो हजारों सपनें ओर एक कमी को महसूस करते हुए घर जा रहा है ।
ट्रैन में रिजर्वेशन है तो समय से जल्दी पहुंच ट्रैन का इंतज़ार कर रहा है ।
जो भी उसको बधाई दे रहे उनको वो खुशी से जवाब दे रहा है ।
ट्रैन के आने पर अपनी जगह बैठ परिवार से बात कर रहा है ………
” मां , बहुत मन था कि ये दिन आपके ओर सभी के साथ मनाया जाए पर कल शौर्य दिवस था तो आज से शुरू हुई छुटी मैं कल तक आ जाऊंगा आप फिक्र न करो ।
तभी दोस्त का भी फोन आता है जन्म दिन बधाई देने को जिसको वो लेता है ।
उसकी बात को सामने बैठा एक परिवार सुनता है जिसमें एक बच्चा बोलता है ” आप आर्मी में है अंकल , आप हमारी रक्षा करते है सीमा पर …….?
” आपका जन्म दिन है क्या आज , आप बात कर रहे उससे लगा “।
” हाँ, बेटा मैं आर्मी में हूँ ,मेरा नाम सुदर्शन है , आज जन्म दिन पर घर जा रहा हूँ”।
वो उसके पापा को कुछ कहता है उसके पापा पहले मना करते है फिर कुछ सोच कर उसकी बात मान जाते है ।
वो कॉल पर बात करते है और मेल पर सारी बात बताते है ।
एक घण्टे के बाद स्टेशन आता है वहां का नज़ारा बदला हुआ है देख कर लग रहा है कि किसी वी, आई ,पी, के स्वागत की तैयारी है तो सुदर्शन ये सब देख परेशान हो गया सोचता है गई एक घण्टे की ।
ट्रैन लेट होगी वो देर से घर पहुंचेगा ।
उसकी परेशानी देख सामने वाला बच्चा बोला ” चलो अंकल ,पापा ट्रैन यहाँ एक घण्टा रुकेगी तो हम नीचे घूम आये ” ।
चलो ………….😊😊😊
सभी नीचे उतरते ही तभी एक अनाउंसमेंट होता है ……
” आज जिनके कारण हम अपने अपने परिवार में खुश है आज़ादी की सांस ले रहे है जो हमारे देश के असली हीरो है । उनमे से एक अभी जो ट्रेन आई है उसमें सफर कर रहे है उनका आज जन्म दिन है उनकी छुटी आज से होने के कारण वो अपने जन्म दिन पर अपने परिवार के साथ नही है । हम वो कमी दूर नही कर सकते पर उनका जन्म दिन सभी मिल कर मना सकते है ।
आइये स्वागत करते है आर्मी मेन ,” सुदर्शन जी ” का
जिनके जन्म दिन की सारी तैयारी हमारे यहाँ के मशहूर उद्योग पति जी ने की है ।
इस नेक काम में हम सभी उनकी मदद करे और सुदर्शन जी का जन्म दिन यहां स्टेशन पर धूमधाम से मनाते है “।
” अंकल ये सब मेरे पापा ने मेरे कहने पर आपके लिए किया है आप ही तो हीरो हो मेरे ।
अंकल केक काटो आप मुझे खाना है “।
इस तरह से एक मासूम ने आर्मी वाले सुदर्शन का जन्म दिन सारी जनता के साथ मनाया जिसमें लोगो ने भी सहयोग किया सभी वहाँ उपस्थित बच्चे खुश हो गए ।उसने बच्चों को बहादुरी वाली बातें बताई ।
सुदर्शन भी बहुत खुश हुआ अपने जन्म दिन पर ऐसी खुशी पा कर । इतना सम्मान पा उसकी आंखें नम हो गई।
दुबारा मिलने का वादा कर सुदर्शन ने सभी से विदा ली । खास तौर पर उस नन्हे भगवान से जिसने उसका जन्म दिन यादगार बनाया ।
उसने भी न सोचा था कि उसका ये वाला जन्मदिन यादगार होगा ।

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।