गीतिका/ग़ज़ल

गजल

हमको हमारा गम भी प्यारा है।
गम है कि गम दिया तुम्हारा है।।

गुमान करने की इम्तहां हो गई।
नही अब ये तहजीब गंवारा है।।

क्यूं तन्हाई का दर्द सहूं रहबर।
हाथ जब हाथ में मेरे तुम्हारा है।।

नही अगर ऐतबार है तुम्हे तो।
पूछ लो खुद से क्या गंवारा है।।

रोज कहां हार होती है रहबर।
दिल एक बार हारा हमारा है।।

होंठो पर उदासी का आलम है ।
अब तो नही ऐतबार तुम्हारा है।।

दिल तोड़ने वाले पत्थर के सनम।
सीखा कहां से तुमने हुनर सारा है।।

— प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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