लघुकथा

कार

कैलाश विवाह के लिए जया के यहाँ परिचय हेतु मिलने के लिए गया। दोनों ही एक दूसरे से बहुत प्रभावित हुए। स्वीकृति तो हो ही गई। विदा के समय जया के पापा ने कैलाश का आभार व्यक्त करते हुए दहेज में कार देने का निर्णय बतलाया। इस प्रस्ताव पर कैलाश ने विनम्रता से कहा , “पापा जी , मेरे जीवन में जया अपने अच्छे संस्कार के साथ आएगी। मेरे लिए वही पर्याप्त है। आपके आशीर्वाद से कार खरीदने में तो मैं भी समर्थ हूँ। मुझे कार नहीं संस्कार चाहिए। वह जया अपने साथ लाएगी ही  बस। ” सभी भावविभोर हो गए। जया भी ऐसा जीवनसाथी पाकर अपनी भीगी पलकों से कैलाश के प्रति आभार प्रकट कर रही थी।               

— दिलीप भाटिया 

*दिलीप भाटिया

जन्म 26 दिसम्बर 1947 इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और डिग्री, 38 वर्ष परमाणु ऊर्जा विभाग में सेवा, अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक अधिकारी