सामाजिक

ठक-ठक, ठक-ठक- 1

ठक-ठक, ठक-ठक-1

”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं नासा का वार्षिक कैलेंडर, देख लो 2019 का कैलेंडर.”
”यह भी कोई बात हुई! नासा के वार्षिक कैलेंडर तो हर साल आता है, इसमें देखने-बताने वाली ख़ास बात कौन सी है?”
”ख़ास है, तभी तो बता रहा हूं. इस बार भारत के चार बच्चों का आर्ट वर्क इसके लिए चयनित हुआ है.”
”यह तो बहुत अच्छी बात है, बताओ तो कौन से चार बच्चे इतने भाग्यशाली हैं.”
”भाग्यशाली भी और प्रतिभाशाली भी. अभी तो और सुनो, यूपी की दीपशिखा का बनाया चित्र कैलेंडर का कवर पेज बना है.”
”और बताओ.”
”अब तो पूछोगे ही, महाराष्ट्र के 10 साल के इंद्रयुद्ध और 8 साल के श्रीहन का बनाया आर्ट वर्क भी इस कैलेंडर में शामिल है. इन दोनों ने सम्मिलित रूप से यह आर्ट वर्क तैयार किया.”
”अरे वाह! यहां भी सहयोग!”
”और क्या भारतीय संस्कृति सहयोग ही तो सिखाती है न!”
”और चौथा बच्चा कौन है?”
”चौथा बच्चा है 12 साल का तमिलनाडु का थेमुकिलिमन.”
”मगर इनको चयनित कैसे किया गया?”
”वो क्या है न! बच्चों के बीच अंतरिक्ष विज्ञान को लेकर उत्सुकता जगाने के लिए इस आर्ट वर्क का आयोजन किया गया.”
”भविष्य के अंतरिक्ष वैज्ञानिक, इंजिनियर, वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने की यह हमारी कोशिश थी. हम उन सभी बच्चों के आर्ट वर्क की सराहना करते हैं जिन्होंने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया.” नासा ने कहा है.

ठक-ठक, ठक-ठक-2

”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में 100 रुपये का स्मारक सिक्का.”
”तो तुम भी हमारे साथ क्रिसमस मनाने आए हो?”
”और क्या? क्रिसमस वाले दिन 25 दिसंबर को ही तो पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ था.”
”फिर तो तुम बहुत खुश होगे, ऐतिहासिक जो हो गए!”
”सच कहा ऐतिहासिक तो मैं हूं ही. इयिहास की अच्छी याद दिलाई, चलो मैं तुम्हें तनिक रुपए का इतिहास सुनाता हूं, सुनोगे?”
”जरूर, इससे तो हमारा ज्ञानवर्द्धन ही होगा न!”
”रुपया शब्द संस्कृत के रूप्यकम् शब्द से बना है. इसका मतलब होता है चांदी का सिक्का। भारतीय मुद्रा को रुपया नाम शेर शाह सूरी ने दिया था. उसने 1540-45 में चांदी के सिक्के जारी किए थे. 10 ग्राम चांदी से बना सिक्का रुपया कहलाता था. मौजूदा समय में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आरबीआई ऐक्ट 1934 के तहत मुद्रा जारी करता है.”
”तुम इतने पुराने हो?”
”शेर शाह सूरी ने चांदी का सिक्का जारी किया. यह मुगलकाल, मराठा साम्राज्य और ब्रिटिश भारत में भी चलता रहा. इसके अलावा शेर शाह सूरी ने ताबें और सोने का सिक्का भी चलाया.”
”कागज का पहला रुपया बैंक ऑफ हिंदोस्तान (1770-1832), जनरल बैंक ऑफ बंगाल ऐंड बिहार (1773-75) और बंगाल बैंक (1784-91) ने जारी किया.”
”1 अप्रैल 1935 को रिजर्व बैंक की स्थापना हुई. शेष फिर कभी.”

ठक-ठक, ठक-ठक-3

”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं इंडोनेशिया की बिना भूकंप वाली सुनामी.”
”लेकिन, आप तो सूचना या संकेत देकर आती हैं, इस बार क्या हुआ? सुनामी से पहले भूकंप नहीं आया और न ही क्षेत्र में कोई प्राकृतिक हलचल ही थी, जिसके कारण प्रशासन को अलर्ट जारी करने का मौका भी नहीं मिला.”
”मेरी भी तो मजबूरी हो जाते है न! आप लोग ग्लोबल वार्मिंग की बात तो करते हैं, समिनार और संगोष्ठियां भी करते हैं, लेकिन पर्यावरण को प्रदूषित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते.”
”गाते-बजाते बैंड-बाजे वालों को अचानक बहते हुए देखकर हमें बड़ा दुःख हुआ. सुना है इंडोनेशिया में ज्वालामुखी फटने के कारण आई सुनामी से अब तक 281 लोगों की मौत हो चुकी है और 1000 से अधिक लोग घायल है. आने वाले दिनों में मृतकों की संख्या बढ़ सकती है.”
”ज्वालामुखी के आगे मैं भी बेबस हूं. इन ज्वालामुखियों से बचने के लिए तो आप लोगों को ही खुद को सुधारना होगा.”
”ठीक कह रही हैं सुनामी जी.”

ठक-ठक, ठक-ठक-4

”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”हम हैं भारतीय सेना के पायलट और टेक्निशंस, आपके लिए सफलता का एक ग़ज़ब संदेश लाए हैं.”
”बताइए-बताइए, क्या ग़ज़ब संदेश है?”
””हमने सफलतापूर्वक एक ऐसे हेलिकॉप्टर को रिकवर किया है, जो सियाचिन के ग्लेशियर में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर बर्फ में अटका हुआ था.”
”अरे वाह सचमुच यह तो ग़ज़ब की सफलता है! कुछ और भी बताइए न!”
”हेलिकॉप्टर को वहां तैनात जवानों की मदद से सुरक्षापूर्वक सियाचिन बेस कैंप में लाया गया है. इतनी ऊंचाई पर यह काम कर सेना ने बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है. इस ऑपरेशन को पूरा करने में हमारा यानी सेना के पायलट और टेक्निशंस का अहम रोल है.”
”यह तो भारतीय सेना ने अपनी तरह का एक वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाया है!”
”इस अनोखे वर्ल्ड रेकॉर्ड के लिए भारतीय सेना को भी हमारी बधाइयां व आप यानी सेना के पायलट और टेक्निशंस को भी हमारी कोटिशः शुभकामनाएं.”

ठक-ठक, ठक-ठक-5
”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं बॉक्सिंग डे. आज 26 दिसंबर है. बॉक्सिंग डे आज के दिन ही आता है.”
”बॉक्सिंग डे यानी मुक्कों का मुकाबला होने का दिन”
”अरे नहीं नहीं, कोई मुक्कों का मुकाबला नहीं हो रहा. बॉक्सिंग डे तो ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, ब्रिटेन तथा कुछ अन्य राष्ट्रमंडल देशों में 26 दिसंबर को मनाया जाता है.”
”बॉक्सिंग डे क्यों मनाया जाता है?”
”बॉक्सिंग डे को मनाने के दो मुख्य कारण हैं- एक तो 25 दिसंबर को भगवान येशु का जन्मदिन हुआ था, उस दिन क्रिसमस के रूप में खुशियां मनाई जाती हैं. दूसरे दिन थैंक्सगिविंग दिवस डे मनाया जाता है. दूसरे इस दिन सेंट स्टीफेन का जन्म हुआ था. इसलिए भी इस दिन बॉक्सिंग डे के रूप में खुशियां मनाई जाती हैं.”
”यह तो बताया नहीं, कि तुम्हारा नाम बॉक्सिंग डे कैसे पड़ा?”
”अब हुआ न सीधा-सीधा सवाल! होता यह है कि क्रिसमस वाले दिन घरों में सब रिश्तेदारों के आने से मेले जैसा माहौल होता है और बहुत-सा खाना बच जाता है. उनको बॉक्स में बंद करके जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाता है. इसके अलावा बहुत-से उपहार डबल-डबल हो जाते हैं. ऐसे उपहारों को भी बॉक्स में बंद करके जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाता है, ताकि घरों में व्यर्थ सामान भी इकट्ठा न हो जाए और जरूरतमंदों को भी खुशियां मिलें. इसलिए मेरा नाम बॉक्सिंग डे पड़ा.”
”खुशियां देने वाले बॉक्सिंग डे, अपने बारे में इतना कुछ बताने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया.”

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “ठक-ठक, ठक-ठक- 1

  • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

    नए अंदाज़ में लिखी गई रचना. हार्दिक बधाई .

    • लीला तिवानी

      आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको यह रचना नए अंदाज़ में लिखी गई लगी और पसंद आई. रचना को आप जैसे वरिष्ठ साहित्यकारों का आशीर्वाद मिलना सौभाग्य की बात है. रचना पर समय देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    ”ठक-ठक, ठक-ठक”.
    ”कौन है?”
    ”मैं हूं सचिन का बल्ला.”
    ”वो तो पता है, आज तुम खास हो क्या?”
    ”बिलकुल ख़ास हूं जी.”
    ”वो कैसे?”
    ”क्रिसमस वाले दिन सेंटा क्लॉज बनकर सचिन ने बच्चों संग घुमाया बल्ला.”
    ”अरे वाह, फिर तो बच्चों को मजा आ गया होगा!”
    ”बिलकुल, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है.”

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