गीत/नवगीत

मैं तुम बिन अधूरी

कैसे भला तुमको मैं ये बताऊं
मैं कैसे हुई इतनी तुम बिन अधूरी
है यूँ तो खुशी ज़िन्दगी में जहां की
हैं सांसें मेरी फिर भी तुम बिन अधूरी

न तुमसे मिली थी जब, ऐसी नहीं थी
न जानूँ मैं ये भी कि “कैसी नहीं थी?”
बस इतना पता है कि जब से मिले हो
अधूरे हैं दिन, रातें तुम बिन अधूरी
मैं कैसे हुई इतनी तुम बिन अधूरी

मैं पहले भी जीती रही हूँ हमेशा
ये आंसू भी पीती रही हूँ हमेशा
मगर जब से पाया है तुमको जहां में
हुई मेरी बातें सब तुम बिन अधूरी
मैं कैसे हुई इतनी तुम बिन अधूरी

ये कैसे हैं सपने? नयन मुझसे पूछे
ये मुझको हुआ क्या? डरा मन भी सोचे
न मैं जानूँ कुछ भी, न दिल कुछ भी जाने
हैं सपने तुम्हारे, यादें तुम बिन अधूरी
मैं कैसे हुई इतनी तुम बिन अधूरी

प्रियंका अग्निहोत्री ‘गीत’
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी