सामाजिक

फिर सदाबहार काव्यालय-9

नये साल का तराना
नया है साल सुंदर-सा तराना मिलके गाना है
मिली हैं जो मधुर यादें उन्हें संग लेके जाना है-

न मंदिर-मस्जिद के झगड़े में अपनी ताकत खोएंगे
पढ़ाकर पाठ मानवता का सारे जग को जगाना है-

नहीं है भेद कोई भी सभी को एक मानेंगे
सभी का एक ही दाता उसी के गीत गाना है-

कभी सुख है कभी दुख है न यूं ही धीरज खोएंगे
निकालेंगे कोई रस्ता दुःखों से क्या घबराना है-

भले छए घटा काली, उजालों को बिछा देंगे
ये जीवन चलता जाएगा, घटाओं को बताना है-

नया है साल सुंदर-सा तराना मिलके गाना है
मिली हैं जो मधुर यादें, उन्हें संग लेके जाना है-
लीला तिवानी

मेरा संक्षिप्त परिचय
मुझे बचपन से ही लेखन का शौक है. मैं राजकीय विद्यालय, दिल्ली से रिटायर्ड वरिष्ठ हिंदी अध्यापिका हूं. कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास आदि लिखती रहती हूं. आजकल ब्लॉगिंग के काम में व्यस्त हूं.

मैं हिंदी-सिंधी-पंजाबी में गीत-कविता-भजन भी लिखती हूं. मेरी सिंधी कविता की एक पुस्तक भारत सरकार द्वारा और दूसरी दिल्ली राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं. कविता की एक पुस्तक ”अहसास जिंदा है” तथा भजनों की अनेक पुस्तकें और ई.पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. इसके अतिरिक्त अन्य साहित्यिक मंचों से भी जुड़ी हुई हूं. एक शोधपत्र दिल्ली सरकार द्वारा और एक भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हो चुके हैं.

मेरे ब्लॉग की वेबसाइट है-
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/

फिर सदाबहार काव्यालय के लिए कविताएं भेजने के लिए ई.मेल-
tewani30@yahoo.co.in

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “फिर सदाबहार काव्यालय-9

  • रविन्दर सूदन

    आदरणीय दीदी,

    परदेस :
    हर जगह आया न्यू ईयर
    कोई फोड़े पटाखा कोई पीये बीयर
    परदेस में नहीं कोई नीयर
    कोई हाथ हिला कहता हेलो डीयर
    किसी कि कार का, फंस गया गीयर
    यहां नहीं किसी को कोई फीयर
    देश
    हाथ है थोड़ा टाइट
    फ्यूचर नहीं दिखता ब्राइट
    हर जगह चमकती लाइट
    कोई कर रहा फाइट
    कोई कह रहा गुडनाइट

  • लीला तिवानी

    परदेस में आया नया साल
    नए-नए नज़ारे लाया बहुत कमाल
    गज़ब के फायरवर्क्स यानी आतिशबाज़ी
    देखकर दिल हो गया बाग-बाग और राज़ी
    देस में कड़कड़ाती सुबह और गुनगुनाती धूप
    यहां चिलचिलाती गर्मी दिखलाती है अपना रूप
    परदेस में भी आता है यह गीत याद
    ”हम तो हैं परदेस में, देस में निकला होगा चांद.”
    चांद के यहां अजीब नज़ारे हैं
    सुबह सैर पर निकलो तो दिखते हैं
    घर के एक ओर सूरज दादा, दूसरी ओर मामा चांद
    शाम को बच्चों-संग निजी स्विमिंग पूल-किनारे
    फिर से देते हैं अपने दिव्य दर्शन
    पूल के एक ओर सूरज दादा, दूसरी ओर मामा चांद
    सुबह छः बजे से रात आठ बजे तक सूरज दादा बजाते ड्यूटी
    इसी तरह चंदा मामा भी दिखाते लंबे समय तक बेमिसाल ब्यूटी
    परदेस में एकत्रित हुए देस के खूब सारे जान-पहचान के वासी
    सबको फिर भी याद आ रहे थे देस के नज़ारे
    कह तो रहे थे हंसकर ”हैप्पी न्यू ईयर”
    मन में एक देस में होने की अजीब-सी उदासी
    सारा जहां हमारा है, सबको हैप्पी न्यू ईयर
    किसी को न सताए कोई भी फीयर
    नए साल में सक्सेज़ दिलाए सबको अ‍पना हर एफर्ट
    सबको मिलें जी भर के खुशियां और कम्फर्ट
    हमारी शुभकामना है
    नया वर्ष देगा नया भारत को आयाम
    रोटी सबको पेटभर और सभी को काम
    मन में अपने जोश है मन में है यह चाह
    नया वर्ष सच की हमें दिखलाएगा राह
    सबके हाथों काम हों, सबके मुख पर हर्ष
    अभिनंदन तेरा करूँ, फिर मैं नूतन-वर्ष
    हैं दिन सारे एक से, नित्य मनायें हर्ष,
    नया पुराना कुछ नहीं, हर पल नूतन वर्ष.

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