कविता

सुस्वागतम नव वर्ष

आया है नववर्ष पुनः
लेकर सपनों का भंडार,
मन गागर भर उमंग
छलकाए खुशियां अपार।

चहूँ दिशा से बह रही
आनंद संगीत सुमधुर,
मुखड़े पर शोभायमान
अत्यंत अप्रतिम नूर।

लेकर प्रतिज्ञा नई आज
चलना सच के पथ पर,
छूना है व्योम की ऊंचाई
होकर सवार कर्म रथ पर।

आलस्य का करके त्याग
प्रगति पथ पर है बढ़ना,
अदम्य साहस भर मन में
हिमालय की चोटी है चढ़ना।

त्याग कर हिंसा, द्वेष, घृणा
प्रेम जामा आज है पहनना,
मृदु वाणी प्रसाद है बांटना
चरित्र का जो अनमोल गहना।

आओ सच्चा सुंदर देश बनाएं
बदले अपने पुरातन विचार,
नई ऊर्जा, नई उमंग के संग
अपनाए नए आचार उपहार।

नई दिशा में कदम बढ़ाए
परिवर्तन को करें स्वीकार,
समय का शाश्वत नियम जो
दे सके उसे उचित आकार।

रहे ना कोई शत्रु जग में
मिट जाए पुरानी शत्रुता,
करें पहल हाथ बढ़ाकर
कर लें सबसे पुनः मित्रता।

अन्याय के प्रति मुखर हो स्वर
ना सहे अनाचार, व्यभिचार,
दंडित करे दुराचारी को
मिलकर सब करें प्रतिकार।

सुप्त है जो उसे जगाए
फैले जन जन में चेतना,
भर मन में अदम्य साहस
जीवन नैया हमें है खेना।

गरीबी, अशिक्षा तमस को
टिकने ना दे अपनी भूमि पर,
दूर कर दें इनकी कालीमा
शिक्षा का आलोक फैलाकर।

भूखे को मिले दो रोटी
शीश पर छत की छाँव,
नंगा ना घूमे कोई बचपन
प्रगति से जुड़े प्रत्येक गाँव।

कुपोषण रहित हो शिशु
माँ को मिले पौष्टिक आहार,
उचित पालन पोषण होगा तब
लेगा बचपन सही आकार।

होगी मजबूत नींव भारत की
खड़ा होगा एक सशक्त देश,
होगा ना तब शत्रु में साहस
उत्पन्न ना होगा कोई क्लेश।

हाथ बढ़ाओ साथी मिलकर
एक ऐसे भारत की करे रचना,
नव वर्ष में करे प्रतिज्ञा
शीश ऊंचा है देश का रखना।

पूर्णतः मौलिक-ज्योत्स्ना पाॅल।

*ज्योत्स्ना पाॅल

भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त , बचपन से बंगला व हिन्दी साहित्य को पढ़ने में रूचि थी । शरत चन्द्र , बंकिमचंद्र, रविन्द्र नाथ टैगोर, विमल मित्र एवं कई अन्य साहित्यकारों को पढ़ते हुए बड़ी हुई । बाद में हिन्दी के प्रति रुचि जागृत हुई तो हिंदी साहित्य में शिक्षा पूरी की । सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर एवं मैथिली शरण गुप्त , मुंशी प्रेमचन्द मेरे प्रिय साहित्यकार हैं । हरिशंकर परसाई, शरत जोशी मेरे प्रिय व्यंग्यकार हैं । मैं मूलतः बंगाली हूं पर वर्तमान में भोपाल मध्यप्रदेश निवासी हूं । हृदय से हिन्दुस्तानी कहलाना पसंद है । ईमेल- paul.jyotsna@gmail.com