कविता

ये आशाओं का डेरा है।

ये आशाओं का डेरा है…
आशाएं यहां लुप्त होगी
जिन्दगी वहाँ सुप्त होगी
हर निशा के बाद सवेरा है
और ये जो जीवन है…
ये आशाओं का डेरा है।

मत सोचो क्या क्या खोया था
दिल कब कब कितना रोया था
गमों ने चाहे पग पग घेरा है
पर ये जो जीवन है….
ये आशाओं का डेरा है।

अपनी पीर तो जाने सब हैं
औरों का गम जाने कब हैं
और के लिए भी जी लें अब
क्योंकि ये जो जीवन है….
ये आशाओं का डेरा है।

गिरे को बड़कर उठा ले कोई
रोते को भी गर हंसा दे कोई
इंसान इंसान का सहयोगी हो
क्योंकि ये जो जीवन है….
ये आशाओं का डेरा है।

आपस में प्रेम बड़ा लें हम
जग को स्वर्ग बना लें हम
क्यों लड़ते ये तेरा मेरा है
क्योंकि ये जो जीवन है….
ये आशाओं का डेरा है।
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |