कविता

मुकरियाँ

प्रीत बढ़ाए प्यास जगाए
ख्वाब दिखाए मन महकाए
हरा भरा धरती का आँगन
का सखि साजन ना सखि सावन |

तपती धरती व्याकुल जन मन
ऐ • सी कूलर में भी तड़पन
आने से जिसके मन हर्षा
का सखि साजन ना सखि वर्षा |

तन्हाई में बीते रतियाँ
गुपचुप करता रहता बतियाँ
जलता है जैसे परवाना
का सखि साजन ना दीवाना |

सौ सौ वादे नित्य ही करता
करके वादा सदा मुकरता
बड़े बड़े सपने दिखलाता
का सखि साजन ना सखि नेता |
मंजूषा श्रीवास्तव’मृदुुुल’

लखनऊ(उत्तर प्रदेश )

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016