कविता

मेरे भाई

दुनिया की भीड़ में तुम ,
भाई कहाँ खो गए हो ,
जहाँ तक मेरी आवाज़ ,
नही आ रही तुम तक ।

भाई बड़ा हो या छोटा,
होता बहन का प्यारा,
उस पर हर पल ,
प्यार लुटाती बहन है ।

हमारा वो प्यार अनोखा,
बचपन वाला ,
आज खान खो गया ,
तुम भी खो गए कहीं ।

याद करो हम कैसे ,
एक दूसरे की जान थे ,
बिन एक दूजे के ,
रह नही सकते थे ।

हमेशा लड़ते रहते ,
मां को तंग करते ,
फिर भी दुलारे थे ,
मां के लाडले थे ।

आज भी ये बहन ,
कर रही तेरा इंतज़ार,
वही बचपन जीने को ,
आजा भाई आजा ।।

वादा करती हूं मैं ,
नही लुंगी अब मैं ,
कोई खिलौने ,
दूँगी तुझको मेरी गुड़िया।

दुनिया की भीड़ में ,
हमारा प्यार खो गया,
आ जाओ एक बार ,
दुबारा हम जी ले बचपन ।

मां ,बाबा के बाद ,
तुमने ही मायका मेरा ,
संजोए रखा है ,
जो मेरा मान है आज भी ।

जब तक तुम हो ,
मायके में मेरे ,
तब तक मायका है ,
जीवित मेरे लिए ।

दुनिया में हम तुम ,
दोनो खो गए है ,
एक बार आ जाओ ,
पुराना बचपन जी ले हम ।

आओ मेरे प्यारे भाई ,
बहन तुमको पुकार रही ,
आ जाओ ……
अब देर न करो ……..😢😢

सारिका औदीच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।