कविता

आँधी और दीपक

हे अमानुषों!
बनकर आँधी
बार – बार
झपटे हो……
मैं दीपक हूँ
नहीं बुझा था
नहीं बुझूँगा
चाहे जितना
जोर लगा लो
सागर की
लहरों से
लेकर गति
अथवा
प्रलय प्रभंजन
से रिश्तों की
रीति निभाकर
या बादल से
बारिश की
सौगातें लेकर…..
मैं माटी में
उपजा
दीप
तेल
बाती
एवं अपनों की
उर – ऊष्मा का
संयोजन हूँ……
दायित्व – बोध
लेकर
माथे पर
जलता हूँ
जग को आलोकित
करता हूँ……
जब तक साथ
तेल – बाती का
मुझे मयस्सर….
तेरे हर
प्रहार के सम्मुख
खड़ा मिलूँगा
अड़ा मिलूँगा
आड़े – तिरछे
पड़ा मिलूँगा
छोटा अथवा
बड़ा मिलूँगा…..
किन्तु नहीं
बुझ सकता
क्योंकि
लाखों लोगों
की आँखों का
सपना हूँ
जुगनू से
सूरज तक
रूप अनेकों मेरे
मैं अटल
अक्षय
अक्षुण्ण
अविनाशी
अपना हूँ।

डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 Awadhesh.gvil@gmail.com शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन