गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

सैनिकों ने ही मिटाया, दाग दामन में नहीं

वो गुलामी का चिन्ह भी आज गुलसन में नहीं |

हिन्द की स्वाधीनता सैनिक इनायत मिली

उनके’ जो बलिदान, नेताओं के’ चिंतन में नहीं |

त्याग की जितनी कहानी, उस गुलामी में पढ़ी

आज वो तासीर नेताओं के’ जीवन में नहीं |

सार्थ में है लिप्त सब,निस्वार्थ नेता है विरल

त्याग है दुर्लभ यहाँ, अभिमान भी मन में नहीं |

वीर योद्ध्या की सहादत, देश की है आबरू

भावना ऐसी अभी इस देश आँगन में नहीं |

कौन है जिम्मेदार वीरों के हुए अपमान का ?

जो हमारे वीर हैं वैसे तो’ भुवन में नहीं |

पीठ के पीछे किया है वार कायर शत्रु सब

चाहिए ‘काली’ जो न्यारे शौर्य, दुश्मन में नहीं |

कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !