गीत/नवगीत

नेताओं का सेना से सवाल जवाब

नहीं थे वे कोई आतंकी कुछ भटके नौजवान थे
माना कि करते हैं देशद्रोह पर वे घाटी की शान थे
क्या हो जाता जो सह लेते देशविरोधी जौहर उनके
क्या हो जाता गर खा लेते दो चार पत्थर उनके
भले धूमिल होती सेना और देश की आन चली जाती
तुमने गोलियां क्यों चलाई पत्थर से जान नहीं जाती
मरे हुए पत्थरबाजों का गिन गिन कर हिसाब दो
क्यों दिखाई देशभक्ति ये हम सबको जवाब दो

दशकों से घाटी में हमने न जाने क्या क्या दर्द सहा है
पर कोई नहीं है सुननेवाला यह अपना दुर्भाग्य रहा है
सेना ने हर मौके पर अपना धीरज दिखलाया था
नहीं करो पत्थरबाजी हमने उनको समझाया था
पर नहीं सुने वे एक हमारी शांति की होली जला रहे थे
हम चुप कैसे रह जाते वे खूनी पत्थर चला रहे थे

वे कुछ देर पत्थर मारते चले जाते फिर भाग कर
फिर भी यह अपराध किया है गोलियां उन पर दाग कर
बस लोकप्रियता के कारण तुमलोग बने कसाई थे
अरे बेटे थे वे किसी माता के और किसी के भाई थे

बस देशप्रेम की खातिर हम जिंदा ही कफन लपेटे हैं
हमारी भी है कई बहनें और हम भी किसी के बेटे हैं
हमसे ही महफूज देश की रक्षा का आधार है
हम पर ही तो भारत के बच्चे बच्चे का भार है
बहुत सहा था पर यह ही था सच्चा सबक शैतान के लिए
हमने तो जो भी किया है बस भारत माता की शान के लिए
अगर हम ऐसा न करते तो हमें बुजदिल का खिताब मिलता
घर घर से निकलता खूनी अफजल हर घर में हमें कसाब मिलता
अगर रोकना है नापाक हरकतें तो अब ये करना ही होगा
जो दागेंगे पत्थर हम पर उनको अब मरना ही होगा

विक्रम कुमार

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