कविता

अनियंत्रित भावनाएं

अनियंत्रित भावनाएं
विचरती हैं अपने वेग में,
कितना भी रोको
कितना भी टोको
ये अपने ही धुन में,
बंदिशों को तोड़कर
पहुँच जाती हैं
अपने ध्येय तक…..
ये निश्छल भावनाएं
नहीं जानती, इनकी
उच्श्रृंखलता भी
नहीं भेद सकती
अपने ध्येय के
नियंत्रण को…..
जब कुचलती हैं
बिखरती हैं,
होती हैं लहूलुहान,
तो लौट आती हैं
यातनाओं की श्रृंखला में
जकड़ी हुई, सिसकती हैं
अपंगों- जैसी आजन्म…..
ये अनियंत्रित भावनायें
खुद तय करती हैं
अपनी गति और नियति।

कविता सिंह

पति - श्री योगेश सिंह माता - श्रीमति कलावती सिंह पिता - श्री शैलेन्द्र सिंह जन्मतिथि - 2 जुलाई शिक्षा - एम. ए. हिंदी एवं राजनीति विज्ञान, बी. एड. व्यवसाय - डायरेक्टर ( समीक्षा कोचिंग) अभिरूचि - शिक्षण, लेखन एव समाज सेवा संयोजन - बनारसिया mail id : samikshacoaching@gmail.com