कविता

खोना नहीं चाहता

बीज मनमुटावों के अब बोना नहीं चाहता
रिश्तों को अब गमों से भिगोना नहीं चाहता
खो दूं भले कोई चीज अब मैं इस दुनिया के
पर मेरे प्यारे दोस्त तुझे मैं खोना नहीं चाहता
जब तक तू था मेरे जीवन में
जीवन मेरी फुलवारी थी
गम कोसों दूर होता था मुझसे
खुशियों से नातेदारी थी
हमेशा हंसा मैं साथ तेरे अब रोना नहीं चाहता
मेरे प्यारे दोस्त तुझे मैं खोना नहीं चाहता
तू है तो हर सुख है तू है तो जीवन में प्यार है
तू जीवन की उमंग है तू ही मेरा बहार है
तू मेरे सुख दुख की साथी
तुझसे मेरा संंसार है
बस कुछ गिले शिकवों को उम्र भर मैं ढ़ोना नहीं चाहता
मेरे प्यारे दोस्त तुझे मैं खोना नहीं चाहता
मेरे प्यारे दोस्त तुझे मैं खोना नहीं चाहता

विक्रम कुमार

विक्रम कुमार

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