कविता

मेरा साया

अपनी परछाई से मंजिल का पता पूछ रहा हूँ।
भटक गया हूँ,मंजिल का निशान ढूंढ रहा हूँ।।

कोई जब ना दिखा रहा था वहाँ पहुँचने की राह।
तो खुद ही खुद से वहां जाने की राह पूछ रहा हूँ।।

पस्त हौसले से जंग लड़ने की सोच रहा हूँ।
अपने ही साये का सहारा ढूंढ रहा हूँ आजकल।।

मुझे पता है इसका सहारा तो मिल ही जाएगा।
मेरा साया आखिर मुझ से बच के कहाँ जाएगा।।

शायद हम दोनों मिलकर मंजिल को पा ही लेंगे।
एक न एक दिन दोनों मंजिल को गले लगा लेंगे।।

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- neerajtya@yahoo.in एवं neerajtyagi262@gmail.com ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)