मुक्तक/दोहा

कुम्भ पर दोहे

सुधा गिरा जब कुम्भ से, माया पुरी प्रयाग।
उज्जैन नासिक तब से, है पावन भू भाग ॥

सागर से निकला सुधा , ये मंथन का सार।
सुधा कैसे पान करे, सभी किये विचार॥

गंगा यमुना शारदा, है साथ में प्रयाग।
करने स्नान कुंभ चले, जप दान पुण्य याग॥

माघ सुपावन मास है, कुम्भ करे स्नान॥
प्रभात उठकर प्रभु का, जप कर और ध्यान ॥

संगम का जल शीत है, स्नान कर तीन बार।
जो जप तप में रत रहै, वही जाये भव पार॥

— राम ममगाँई पंकज देवभूमि हरिद्वार

रामचन्द्र ममगाँई पंकज

नाम- रामचंद्र ममगाँई । साहित्यिक नाम-पंकज । जन्मतिथि- 15 मई 1996 पिता का नाम- श्री हंसराम ममगाँई। माता का नाम- श्रीमति विमला देवी। जन्म स्थान-घनसाली टिहरी गढवाल उत्तराखंड। अस्थायी पता - देवपुरा चौक हरिद्वार उत्तराखण्ड। स्थाई पता- ग्राम मोल्ठा पट्टी ढुंगमन्दार घनसाली जिला टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड पिन को- 249181 मो.न. 9997917966 ईमेल- ramchandramamgain@gmail.com शिक्षा- शास्त्री और शिक्षाशास्त्री रचना साझा संकलन 1 अनकहे एहसास 2. एहसास प्यार का विशेष - चित् तरंगिणी त्रैमासिक पत्रिका का मुख्यसम्पादक । हिन्दी व संस्कृत के विभिन्न विषयों पर लेख व कविता अनेक पत्रिकाओं व अखबार में प्रकाशित ॥