अन्य बाल साहित्य

बच्चों के नाम खुला पत्र- अपना तिरंगा झंडा

प्रिय बच्चो,
जय हिंद,
अभी-अभी हमारा गणतंत्र दिवस समारोह सम्पन्न हुआ है. आप सबने अपने घरों में और स्कूल में तिरंगा झंडा लहराया होगा. यह तिरंगा झंडा महज तीन रंगों का तिरंगा झंडा ही नहीं, यह राष्ट्रध्वज तिरंगा हमारे देश की आन-बान-शान है. आओ तुम्हें बताएं तिरंगे झंडे के बनने की कहानी-
तिरंगा झंडा
तिरंगा जिस संस्था के मुताबिक तैयार किया जाता है उसका नाम ‘ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड’ है. तिरंगा बनाने का ऑर्डर यहां दो महीने पहले देना पड़ता है। आज यह संस्था 26,000 से 30,000 झंडे सालाना बना रही है। इसकी कमाई का अनुमान फिलहाल 3 करोड़ रुपये सालाना है.
देश का तिरंगा बनाने का सरकारी अधिकार एक ही संस्था को है. संस्था का नाम है ‘कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग सयुंक्त संघ’, यह हुबली में है. इसे ही तिरंगा बनाने का लाइसेंस मिला हुआ है.
जिस कपड़े का तिरंगा बनता है वो खादी का कपड़ा बालाकोट के एक गांव के मजदूरों द्वारा बनाया जाता है. ‘कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग सयुंक्त संघ’ साल 1957 में खोला गया था. इससे पहले देश के कोने-कोने से लोगों से खादी लेकर तिरंगा बनाया जाता था.
जिन लोगों की टीम तिरंगे को तैयार करती है उनकी संख्या 500 है. इसमें से 90 प्रतिशत महिलाएं हैं। कम से कम वेतन 4000 रुपये है. ज्यादातर महिलाएं हाउस वाइफ हैं. उनके पति किसान हैं.
तिरंगा 12×8 फीट का होता है. छह चरणों में इसे तैयार किया जाता है. पहले हाथ से कताई होती है, फिर बुनाई, रंगाई, चक्र की छपाई, सिलाई और बंधाई करनी पड़ती है.
तिरंगा तैयार करने में किसी तरह की गलती की गुजाइश नहीं है. बीआईएस ने सख्ती से इसको लेकर नियम बना रखे हैं। राष्ट्र ध्वज के आकार, धागे की मात्रा, धागे की मजबूती में अगर थोड़ी सी गलती होती है तो गंभीर अपराध माना जाता है। जानकारी के लिए बता दें ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002’ के तहत ऐसा करने पर जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान है.
तिरंगे के तीन रंगों का मतलब और महत्त्व तो आप जानते ही होंगे. केसरी रंग वीरों की वीरता और केसरिया बाने का प्रतीक है, सफेद रंग शांति का और हरा रंग हमारी धरती की हरियाली का सूचक है. बीच में चक्र का नीला रंग नील गगन को इंगित करता है तथा इसके चबीस आरे दिन के चौबीस घंटे चलते रहने के संकेतक हैं. इसके अलावा यह अशोक चक्र हर एक भारतीय में समाए चरित्रों को भी दर्शाता है-
1.नम्रता 2.संवेदना 3.सहानुभूति 4.सर्वोच्च ज्ञान 5.परम बुद्धि 6.कृपालुता 7.करुणा 8.न्याय 9.धार्मिकता 10.सत्यवादिता 11.आत्म परित्याग 12.निःस्वार्थता 13.आत्म संयम 14.सत्यता 15.भक्ति 16.भलाई 17.दयालुता 18.शांतिप्रियता 19.धीरज 20.साहस 21.स्नेह 22.आशा 23.परोपकारिता 24.श्रेष्ठ नैतिकता.
इसके अतिरिक्त अपने राष्ट्रध्वज तिरंगे झंडे के बारे में आपके पास अन्य कोई नई जानकारी हो तो कामेंट्स में हमें अवश्य बताएं.
चलते-चलते हम आपको संक्षेप में तिरंगा झंडा लहराने के नियम बताते चलते हैं-
तिरंगे झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए. इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए. केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके झंडा लगाया या फहराया नहीं जा सकता. इसके अलावा झंडे का पूरा मान-सम्मान करना चाहिए. किसी भी तरह इसका अपमान या व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं होने पाए. किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या उससे ऊपर या उसके बराबर नहीं लगाया जा सकता.
आपकी नानी-दादी-ममी जैसी
-लीला तिवानी

इन ब्लॉग्स को भी पढ़ें-

सदाबहार काव्यालय-47

बच्चों के नाम एक पत्र

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “बच्चों के नाम खुला पत्र- अपना तिरंगा झंडा

  • लीला तिवानी

    केसरिया रंग सचेतनता और जागरुकता का प्रतीक भी होता है. आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में हर स्कूल के आसपास स्कूल सूचक सफेद पटक लगा होता है, जिसका ऊपरी हिस्सा केसरिया रंग में रंगा होता है, उसी पर लिखा होता है- स्कूल ज़ोन.

Comments are closed.