गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल-२

तन्हाई किसी की मुस्तकबिल न हो
खुशियां इतनी भी मुश्किल न हो

और पाने की आशा हो
अंतिम लक्ष्य हासिल न हो

प्यार तो सच्चा हो
लेकिन उसकी मंजिल न हो

प्रेम में डूबा हो
स्नेह-सरिता का साहिल न हो

मन में समर्पण हो
महबूबा संगदिल न हो

ज्ञान का भंडार हो
पर मानव जाहिल न हो

उससे भी प्यार हो
जो उसके काबिल न हो

:- आलोक कौशिक

आलोक कौशिक

नाम- आलोक कौशिक, शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य), पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन, साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में सैकड़ों रचनाएं प्रकाशित, पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101, अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com