कविता

मैं सत्य बोलना चाहता हूँ

मैं सत्य बोलना चाहता हूं
कुछ अपने बारे में
कुछ दूसरों के विषय में
लेकिन जब कभी भी
मैंने सत्य बोला है
हो गया है मुझसे
लोगों का विकर्षण

कभी-कभी तो
रिश्ते-नाते भी
टूटने के कगार पर
पहुंच गये हैं
इस सत्य के कारण

सत्य बोलने वालों के खिलाफ
जारी होते हैं फतवे
किया जाता है
उनका विरोध
इस एक सत्य को नहीं छोड़ने पर
छोड़ना पड़ता है
अपना तन या वतन

सोच रहा हूं कि
लिख डालूं
कुछ सत्य मैं भी
या फिर
झूठी स्याही से
रचता रहूं भजन
…………

:- आलोक कौशिक

आलोक कौशिक

नाम- आलोक कौशिक, शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य), पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन, साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में सैकड़ों रचनाएं प्रकाशित, पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101, अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com