कविता

प्रेम दिवस

चक्षुओं में मदिरा सी मदहोशी
मुख पर कुसुम सी कोमलता
तरूणाई जैसे उफनती तरंगिणी
उर में मिलन की व्याकुलता

जवां जिस्म की भीनी खुशबू
कमरे का एकांत वातावरण
प्रेम-पुलक होने लगा अंगों में
जब हुआ परस्पर प्रेमालिंगन

डूब गया तन प्रेम-पयोधि में
तीव्र हो उठा हृदय स्पंदन
अंकित है स्मृति पटल पर
प्रेम दिवस पर प्रथम मिलन

:- आलोक कौशिक

आलोक कौशिक

नाम- आलोक कौशिक, शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य), पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन, साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में सैकड़ों रचनाएं प्रकाशित, पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101, अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com