लघुकथा

असमंजस

”सुंदरता से बढ़कर चरित्र है,
प्रेम से बढ़कर त्याग है,
दौलत से बढ़कर मानवता है,
परंतु सुंदर रिश्तों से बढ़कर
इस दुनिया में कुछ भी नहीं है.”
यह सुविचार पढ़ते ही प्रखर का असमंजस उड़न छू हो गया था. होता भी कैसे न!
सिडनी में रहने वाले अनूप की सगाई भारत की रिया से हो गई थी. लड़की वाले शादी की तारीख निकलवाने के लिए कह रहे थे.
”मैं अपने दोस्त से पूछूंगा, कि वह कब आ सकता है? जब वह आ सकेगा, वही शादी का मुहूर्त होगा.”
”दोस्त से!” सबको हैरत हो रही थी. ”लोग तो भाई-बहिन की सहूलियत को देखते हैं.”
”वे तो सब आ ही जाएंगे, पर प्रखर का आना बहुत जरूरी है.” जवाब अनूप की मां ने दिया था, ”जानते हैं!, अनूप तो अभी भी शादी के लिए तैयार नहीं था. बहुत मेहनत करके बड़े भाई की तरह प्रखर ने इसे शादी के लिए मनाया है. वह भी सिडनी में ही रहता है, अनूप को पता है, वह ऑफिस के प्रोजेक्ट्स में इतना व्यस्त रहता है, कि अपने मामा की इकलौती बेटी की शादी में भी नहीं जा सका.”
इसी सुंदर रिश्ते को निभाने के लिए प्रखर ने शादी में सम्मिलित होने का मन बना लिया था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “असमंजस

  • लीला तिवानी

    संबंध प्रगाढ़ होने के लिए खून का मिलना अर्थात सगा होना जरूरी नहीं, दिल का मिलना परम आवश्यक है और दिलों के इसी मेल की वजह से प्रखर ने अपने व्यस्ततम समय में से भी समय निकालकर अनूप की शादी में शामिल होने का निश्चय किया.

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