कविता

कविता – आतंकवाद

आतंकवाद से मुक्त करो
भारत की हर मां धन्य है,
जिन्होंने ऐसे सपूतों को जन्म दिया।
भारत माता पर कुर्बान होने को,
सब बेटे दंभ भरते हैं।
कुछ ताकतो ने भारत मां को,
फिर से ललकारा है।
कैसे चुप बैठे सपूत इनके,
जब मां पर आफत के बादल छाए हैं,
आपको देना होगा करारा जवाब,
नक्शे से नाम मिटाना है।
उठो धरा के वीर सपूतों,
काम बहुत ज्यादा है।
जिन माओ की कोख उजड़ गरी,
बहनों की राखियां बिखर गई,
कितने बच्चे अनाथ हो गए,
कितनी मांगे सुनी हो गई,
इन सब का जवाब देना होगा।
कब तक राजनीति ही करते रहेंगे,
अब तो होश में आओ सब जन,
भारत मां की बेड़ियों को आतंकवाद से,
मुक्त कराने का वक्त आ गया।।

— गरिमा

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384