गीत/नवगीत

है तुम्हें नमन ओ वीर!

है तुम्हें नमन ओ वीर धरा के जाओ तुम परदेस
आँखों में आँसू भर-भर के विदा करे ये देश।

गाएगी केसर की वादी हरदम तेरी कहानी
जहाँ गिरा है लहू तुम्हारा होगी वही निशानी
नहीं जाएगी कभी अकारथ वीर तेरी कुरबानी
हुआ आज है तुझसे बौना, देखो ये शैलेष
आँखों में आँसू भर-भर के विदा करे ये देश।

धन्य हो जो तुम इस जीवन में सारा कर्ज़ उतार गए
अर्पण कर शीशों की माला, माँ का रूप सँवार गए
कोटि-कोटि प्राणों की खातिर, अपना जीवन वार गए
फिर आना तुम यहाँ बदलकर, जल्दी अपना वेष
आँखों में आँसू भर-भर के विदा करे ये देश।

नहीं तुम्हें हम दे सकते हैं, और कोई उपहार
याद रखेगा तुझे वतन और, तेरा ये उपकार
मातृभूमि को करो समर्पित, अपना घर-संसार
ओ शहीद! पाया है हमने, तुमसे यह संदेश
आँखों में आँसू भर-भर के विदा करे ये देश।

— शरद सुनेरी